
स्ट्रगल के दिनों में शराबी ड्राइवर को देख आया रतन नूरा का आइडिया, अब ये मेरी पहचान है
भोपाल। कॉमेडियन समसामायिक विषयों को अपने अंदाज में पेश करता है। वह कॉमेडी के माध्यम से समाज के मुद्दों को उठाता है। मुझे रतन नूरा के किरदार से पहचान मिली। दरअसल रतन नूरा, मेरा गढ़ा हुआ किरदार नहीं बल्कि मेरे जीवन में सामने आया असली किरदार था। 1995 में स्ट्रगल के दिनों में मैं मुंबई में चाय की दुकान पर काम करता था। रात को हम एक होटल में खाना खाने जाते थे। वहां रतन नूरा नाम का शराबी ड्राइवर आता था। वह साउथ के हट्टे-कट्टे सेठों को धमकाता था। उस शराबी की बातों में बहुत ही मजा था। मैंने उसे अपना स्टाइल बनाया। यह बात कॉमेडियन सुनील पाल ने पत्रिका से बातचीत में कही। वे वन मेला में परफॉर्मेंस देने आए थे।
5 प्रतिशत कॉमेडियन ने कॉमेडी को बदनाम कर दिया
उन्होंने कहा कि देश का 5 प्रतिशत युवा ही ऐसा होगा जो गंदी कॉमेडी को देखना पसंद करता होगा, नहीं तो 95 प्रतिशत युवा अभी अच्छी कॉमेडी देखना पसंद करते हैं। कॉमेडी का स्तर भी गिरता जा रहा है। कॉमेडी के नाम पर गाली-गलौच होने लगी है। जो कॉमेडियंस इस तरह की कॉमेडी कर रहे हैं वे कृपा कर स्पष्ट कर दें कि ये कॉमेडी नहीं है। यदि ये कॉमेडी है तो चॉल में होने वाली गाली-गलौज भी कॉमेडी है। हम जब किसी शो में जाते हैं तो आयोजक हमें चेतावनी देता है कि प्लीज आप वल्गर जोक नहीं करेंगे। ऐसे कॉमेडियन के कारण हमें सुनना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि आज के समय में टीवी पर कॉमेडी देखने वाला दर्शक अलग है, वेब पर देखने वाला अलग है। जैसे कुछ वेब सीरीज है जो सिर्फ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही चल सकते हैं फिल्मों में सेंसरशिप के कारण नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि हमने देश में घूम-घूम कर वहां की संस्कृति को जाना और उसे अपने स्टाइल में शामिल किया। आज पढ़े-लिखे अनपढ़ किरदार बनकर हमें परेशान किए हुए हैं।
भारत में महाभारत न हो
उन्होंने कैब-एनआरसी मुद्दें पर हो रहे प्रदर्शन को लेकर कहा कि अभी लोगों में इसे लेकर कन्फ्यूजन है। सरकार को अपने मन की बात स्पष्ट करनी चाहिए। देश को भारत ही बनें रहने दे, यहां महाभारत नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कपिल शर्मा किसी प्याज की तरह वर्तमान में स्टैंडअप कॉमेडियन के लिए एक रोल मॉडल हैं।
Published on:
21 Dec 2019 09:04 am
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