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नेहरू ने करवाया था भारत-चीन युद्ध के दौरान तंत्र-मंत्र, फिर हुआ चमत्कार

mp.patrika.com आपको बताने जा रहा है कुछ ऐसे ही दिलचस्प अनुष्ठान, जिनके बाद ऐसा कुछ हुआ कि लोगों की आस्था तंत्र-मंत्र में और बढ़ गई।

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Manish Geete

Sep 21, 2016

baglamukhi

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भारत में पुरातनकाल से ही धार्मिक रीति-रिवाज चले आ रहे हैं। तंत्र साधनाओं का भी विशेष महत्व है। हजारों सालों से धन, सुख और वैभव की प्राप्ति के लिए या लड़ाई-झगड़े, कोर्ट कचहरी के मसले सुलझाने के लिए तांत्रिक अनुष्ठान किए जाते हैं। यही कारण है कि त्रैतायुग में रावण के पुत्र, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण या कलियुग में भारत सरकार ने मुसीबतों को टालने के लिए तंत्र मंत्र का सहारा लिया था।

mp.patrika.com आपको बताने जा रहा है कुछ ऐसे ही दिलचस्प अनुष्ठान, जिनके बाद ऐसा कुछ हुआ कि लोगों की आस्था तंत्र-मंत्र में और बढ़ गई।


दतिया में है मां पीतांबरा पीठ
मध्यप्रदेश के दतिया में ही मां पीतांबरा पीठ है, जिसकी आस्था के बारे में कहते हैं कि यहां देश की बड़ी-बड़ी हस्तियों ने तंत्र पूजा करवाई थी। इंदिरा गांधी, पंडित नेहरू से लेकर कई हस्तियों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी है। 1962 में जब चाइना ने हिन्दुस्तान पर आक्रमण कर दिया था, उस समय प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने पीताम्बरा पीठ दतिया के महाराज से मिलने की इच्छा जाहिर की। उसके बाद स्वामी जी ने यज्ञ करवाने की बात कही। इसके बाद यज्ञ शुरू किया गया। नौवे दिन जैसे ही पूर्णाहूति हुई, उसी समय नेहरूजी का संदेश मिला कि चीन ने युद्ध रोक दिया है। मंदिर के जिस स्थान पर यह यज्ञ हुआ था वह यज्ञ शाला आज भी मौजूद है।


रावण के पुत्र कराया था निकुंभला अनुष्ठान
रावण के पुत्र मेघनाद ने निकुंभला देवी का अनुष्ठान कराया था। जिसे बजरंगबली ने भंग कर दिया था। ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी ने यह अनुष्ठान इसलिए भंग कर दिया था, क्योंकि वे जानते थे कि इस अनुष्ठान के बाद उसे कोई नहीं परास्त कर पाएगा।


शाजापुर में है बगलामुखी शक्तिपीठ
मध्यप्रदेश के शाजापुर में है मां बगलामुखी शक्तिपीठ। आसपास के लोगों में भी यहां गहरी आस्था है। जिले के नलखेड़ा में हर साल नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। तंत्र साधना करने वाले यहां धुनी जमाए रहते हैं। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर इस मंदिर की स्थापना युधिष्ठिर ने की थी। उसके बाद सभी पांडवों ने यहां तंत्र अनुष्ठान किया था। इसके बाद ही उन्हें महाभारत के युद्ध में विजय मिली।


महाकाली करती है संहार
मां दुर्गा का एक रूप महाकाली भी है, जिसे संहार करने वाली देवी कहा जाता है। मान्यता है कि देवी काली को संकटनाश, सुरक्षा, विघ्ननिवारण, शत्रु संहारक के साथ ही सुरक्षा करने वाली देवी भी कहा जाता है। महाकाली की आराधना करने वाले साधकों को शत्रुओं पर विजय मिलती है।

शत्रुओं का नाश करती है धूमावती
मान्यता है कि मां धूमावती की साधना करने वाले को दुश्मन नष्ट हो जाते हैं। लड़ाई-झगड़े, कोर्ट कचहरी में विजय के लिए मां धूमावती की साधना की जाती है। माना जाता है कि बगलामुखी के साथ ही धूमावती की साधना से शत्रु मिट जाते हैं, इसलिए दतिया के पीताम्बरा पीठ में मां बगलामुखी के साथ ही मां धूमावती की भी स्थापना की गई है। जो दुनिया में अपने आप में इकलौता है।

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