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35 रुपए पार हो गया रोटी का आटा, एक साल में 37% महंगा हुआ गेहूं

गेहूं के दामों में लगातार बढ़ोतरी होने के कारण रोटी का आटे का दाम भी आसमान छूने लगा है, हालात यह है कि एक किलो आटा 35 रुपए से ऊपर बिक रहा है.

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भोपाल. गेहूं के दामों में लगातार बढ़ोतरी होने के कारण रोटी का आटे का दाम भी आसमान छूने लगा है, हालात यह है कि एक किलो आटा 35 रुपए से ऊपर बिक रहा है, ऐसे में हल्के या समान्य ब्रांड का 5 किलो का पैकेट भी 175 रुपए से कम नहीं मिलता है। वहीं थोड़े अच्छे ब्रांड का वही 5 किलो आटे का पैकेट 200 रुपए से कम नहीं आ रहा है। ऐसे में आम नागरिक और मध्यमवर्गीय परिवार का बजट महज आटे ने ही बिगाड़ दिया है, क्योंकि हर माह करीब 15 से 20 किलो आटा एक घर में उपयोग हो जाता है। जिसका मुख्य कारण गेहूं के दाम में अचानक बढ़ोतरी होना है।

जनता को दोहरा नुकसान

पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम स्थिर हैं। फिर भी दैनिक उपयोग की वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं। गेहूं पिछले साल से लेकर अब तक 37 प्रतिशत महंगा हो गया है। इस वजह से आटे का फुटकर भाव 35 रुपए पार गया है। कच्चे माल में तेजी के कारण महंगाई लगातार बढ़ रही है। हालांकि, कुछ कंपनियों ने वस्तुओं का वजन कम कर दिया है, लेकिन सामान महंगा नहीं किया है। इससे जनता को दोहरा नुकसान है। उधर, कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटरों का मार्जिन भी एक से डेढ़ फीसदी कम कर दिया है। ताकि प्रॉफिट-मार्जिन के स्तर को बनाया रखा जा सके। राजधानी के कुछ प्रमुख एफएमसीजी, किराना, आटा-मैदा, तेल-शक्कर और डेली नीड्स के सामानों को बेचने वाले डीलर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स से बातचीत में पता चला कि कच्चे माल के दाम बढ़े हैं।

मार्केट एक्सपर्ट एवं कारोबारी विनय जैन बताते हैं कि कुछ कंपनियों ने रेट बढ़ाए हैं, कुछ ने वजन घटा दिया है। आर्थिक विश्लेषक आदित्य जैन मनयां बताते हैं कि लंबे समय तक कंपनियां इनपुट लागत का वजन ग्राहकों पर डाल सकती हैं। उनका कहना है कि जनवरी में उपभोक्ता वस्तुओं में 1 से 20 प्रतिशत तक की तेजी आई है।

पैकेट के वजन कम हो गए

सर्वाधिक उपयोग होने वाले साबुन, डिटरजेंट सोडा, वेनजीन, पैकिंग कागज, प्लास्टिक, मिनरल्स, पीपी, शॉप स्टोन पाउडर, अगरबत्ती का बैंबू, ऑयल केमिकल, बिस्किट के सामान (तेल व शक्कर छोडकऱ), आटा, मैदा और घी के भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। इसकी वजह से या तो वस्तुओं के दाम बढ़ गए हैं या फिर बिस्किट, साबुन,सर्फ और खाद्य तेल के पैकेट के वजन कम हो गए हैं।

गेहूं की कीमत में 37 फीसदी तेजी

गेहूं की कीमत में पिछले साल से अब तक इसमें 37 फीसदी से अधिक तेजी आ चुकी है। लेकिन, सरकार मुक्त बाजार बिक्री योजना ओएमएसएस) के तहत खुले बाजार में गेहूं उपलब्ध करा दें तो इसमें कुछ मंदी आ सकती है। माना जा रहा है महंगाई थामने के लिए सरकार बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं और आटा खुले बाजार में बेचने की तैयारी में है। आटा मिलों ने सरकार से गेहूं का स्टॉक बाजार में लाने की मांग की है।

रॉ मटेरियल की कीमतों में तेजी है। कंपनियों को कच्चा माल महंगी दरों पर खरीदना पड़ रहा है। कंपनियां रेट कंट्रोल की कोशिश में हैं। इसी क्रम में कुछ वस्तुओं के वजन कम हुए हैं।

आकाश गोयल, उपाध्यक्ष,भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स

गेहूं में तेजी के कारण खुदरा बाजार में आटा का भाव 35 रुपए प्रति किलो तक है। सरकार ने खुले बाजार में गेहूं उपलब्ध नहीं कराया तो स्थिति और खराब हो सकती है।

दीपक पंसारी, थोक आटा-मैदा कारोबारी

क्वालिटी और अपने ब्रांड नेम को ध्यान में रखते हुए कई कंपनियों ने वस्तुओं का वजन घटाया है। इसलिए दाम स्थिर हैं। डिस्ट्रीब्यूटरों का मार्जिन कम कर दिया है।

सुनील जैन, 501,चेयरमैन, मप्र कंज्यूमर डीलर्स एसोसिएशन

मप्र में करीब 75 फ्लोर मिलें हैं, जिनकी प्रतिदिन की गेहूं की डिमांड करीब 10,000 टन है। गेहूं के कमी के चलते 1000 टन भी नहीं मिल रहा। इससे थोक में आटा 3300 तक और फुटकर में 3400 से 3500 रुपए में मिल रहा है। सरकार ने गेहूं रिलीज किया है।

सुनील अग्रवाल, अध्यक्ष, मप्र रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन

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