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चुनाव नतीजों से पहले ‘साइलेंट’ मोड में साध्वी, पीएम, सीएम और शाह हैं ‘खफा’

locationभोपालPublished: May 19, 2019 05:25:16 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

विवादित बयानों के बाद भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा हैं ‘खामोश’

sadhvi
भोपाल. बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर चुनाव नतीजों से पहले ही साइलेंट मोड में चली गई हैं। साध्वी के बयान सिर्फ उनके ही लिए नहीं बल्कि पार्टी के लिए भी मुसीबत बन गई है। करकरे के बाद गोडसे पर बयान देकर साध्वी बुरी तरह फंस गईं है। पार्टी और नेताओं ने भी इस बार उनका साध छोड़ दिया है।
साध्वी के गोडसे वाले बयान से पीएम, सीएम और अध्यक्ष अमित शाह तक नाराज हैं। साध्वी भी गोडसे वाले बयान के बाद सार्वजनिक दिनचर्या से खुद को दूर कर ली हैं। बताया जा रहा है कि साध्वी बीमार हैं लेकिन पार्टी का कोई भी बड़ा नेता उनसे मिलने के लिए उनके आवास पर नहीं गया है। साध्वी के ट्विटर हैंडल से भी सिर्फ पार्टी, पीएम और अमित शाह की गतिविधियां ट्वीट हो रही हैं।
लेकिन साध्वी ने गोडसे वाले बयान के बाद कोई राजनीतिक बयान नहीं दिया है। जब सिहोर से वह वापस लौट रहीं थी तब भी उनसे पूछा गया कि तो बिलकुल वह चुप रहीं। साध्वी ने कहा था कि गोडसे देशभक्त हैं, थे और रहेंगे। बाद में जब बयान की किरकिरी हुई तो वह माफी मांग लीं।
बयान के बाद पीएम मोदी ने कहा कि यह घोर अपमानजनक और भयंकर खराब है। उन्होंने भले ही माफी मांग ली हैं, लेकिन मैं उन्हें कभी माफ नहीं कर पाऊंगा। इस बात से साफ है कि पीएम मोदी भी बेहद खफा हैं।
सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी कहा है कि इस तरह के बयान पार्टी के विचारधारा से मेल नहीं खाती है। उन्होंने कहा था कि पार्टी ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। इसके साथ ही पार्टी अनुशासन समिति उनसे मिले जवाब के आधार पर दस दिनों के अंदर पार्टी को रिपोर्ट सौंपेगी।
विपक्षी लगातार साध्वी को पार्टी से निकालने के लिए बीजेपी को चुनौती दे रहे हैं। अब एनडीए गठबंधन के अंदर से भी उन्हें हटाने की मांग उठने लगी है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी कहा है कि गांधी जी को लेकर इस तरह के बयानों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी का अंदरूनी मामला है। लेकिन इस तरह के बयान के लिए उन्हें पार्टी से निकालने पर विचार करना चाहिए।
गौरतलब है कि साध्वी उम्मीदवारी के बाद से ही विवादित बयानों से पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी करती रही हैं। उन्होंने गोडसे से पहले कहा था कि मुंबई हमले के दौरान शहीद हुए हेमंत करकरे की मौत उनके श्राप की वजह से हुई थी। उनके इस बयान से भी पार्टी ने किनारा कर लिया था। ऐसे में साध्वी परिणाम आने तक खामोश ही रहेंगी।
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