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कैचमेंट प्लानिंग एरिया में शामिल होते ही नियमों से नियंत्रित होगा बेतरतीब निर्माण

भोजताल बचाने की कवायद: कैचमेंट में आ रहे हैं भोपाल के 67 और सीहोर के 33 गांव

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कैचमेंट के लिए मास्टर प्लान में अलग से प्रकाशित किए जाएंगे नियम
टीएंडसीपी डिजिटाइज्ड करेगा डाटा ताकि नागरिक कैचमेंट की प्लानिंग समझ सकें
भोपाल. बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया को मास्टर प्लान में शामिल करने जीआइएस सर्वे के डाटा को आधार बनाया जा रहा है। सर्वे में भोपाल के खानूगांव, बैरागढ़ के ग्रामीण इलाकों सहित 67 तो सीहोर जिले के लगभग 33 गांव दायरे में आ रहे हैं। सरकार इन गांवों को कैचमेंट में मानकर प्लानिंग एरिया में शामिल करेगी। इन स्थानों पर जमीनों के इस्तेमाल के लिए नियमों का प्रारूप बनेगा। तालाब संरक्षण के लिए इन्हीं नियमों के तहत अनुमतियां मिलेंगी।
टीएंडसीपी की वेबसाइट पर 3200 हैक्टेयर में फैले बड़े तालाब के कैचमेंट में शामिल गांवों के नाम और जमीनों का ब्योरा डिजिटाइज्ड फॉर्मेट में भोपाल मास्टर प्लान के साथ अपलोड किया जाएगा। अभी मास्टर प्लान के अभाव व नियमों की जानकारी नहीं होने से कैचमेंट में धड़ल्ले से जमीनों की खरीद-फरोख्त की जा रही है।

अभी ये चुनौतियां
खानूगांव और बैरागढ़ का एक भाग कैचमेंट में शामिल होगा। मौजूदा निर्माण का क्या होगा, ये सरकार को तय करना होगा।
रामसर साइट के बावजूद बड़ा तालाब में सीवेज मिल रहा है। जलशोधन संयंत्र प्रभावी नहीं हैं।
बड़ा तालाब रिटेनिंग वॉल बनाने में करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं लेकिन निर्माण अधूरा है। अब इस दीवार का क्या होगा?
वन विहार का 70त्न भाग कैचमेंट में है। वाहनों की आवाजाही बंद करना होगी। तालाब संरक्षण के लिए यह अनुशंसा सेप्ट ने की थी।
यह मिलेगा फायदा
बड़े तालाब का कैमचेंट प्लानिंग एरिया में शामिल होने से भोपाल की पहचान इस तालाब का संरक्षण हो सकेगा। इससे डेढ़ लाख से अधिक आबादी को पीने का साफ पानी मिलता रहेगा।
प्लानिंग एरिया में शामिल होने के बाद सीमांकन से यह भी स्पष्ट हो सकेगा कि कैचमेंट कहां तक है।
कैचमेंट में नए निर्माण कार्य रुकने के साथ पुराने के संबंध में भी नीति बन सकेगी।
कैचमेंट में ऑर्गेनिक खेती ही होने का नियम लागू होने से तालाब में प्रदूषण रोका जा सकेगा।

कैचमेंट एरिया में आ रहे गांव-फार्म हाउस
भौंरी, बकानिया, मीरपुर, फंदा, रातीबड़, नीलबड़ सहित बैरागढ़ के ग्रामीण इलाकों में फार्म हाउस बन गए हैं। नगर निगम ने तालाब के फुल टैंक लेवल तय करने जो मुनारें लगाई हैं, उनसे 50 मीटर के दायरे में निर्माण प्रतिबंधित है। इसके बाद भी जारी है। खानूगांव, हलालपुरा और बैरागढ़ के तटीय इलाके निगम सीमा में आते हैं। भवन अनुज्ञा शाखा यहां बिल्डिंग परमिशन जारी कर रही है।
अब मास्टर प्लान में कैचमेंट एरिया के नियमों का प्रकाशन होगा। जीआइएस सर्वे के आधार पर गांवों की संख्या तय होगी, प्रारंभिक रिपोर्ट में दोनों जिलों के लगभग 100 गांव कैचमेंट में आ रहे हैं।
एसके मुद्गल, संयुक्त संचालक, टीएंडसीपी