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भोपाल

अनुसूचित जाति की शिक्षा, स्वास्थ्य पर सरकार का फोकस नहीं : आयोग

अनुसूचित जाति की शिक्षा, स्वास्थ्य पर सरकार का फोकस नहीं – आयोग, केन्द्र के फंडिग पैटर्न बदले से इनकी योजनाएं हो रही प्रभावित- पीएस वित्त

भोपालSep 06, 2019 / 08:20 am

Ashok gautam

Cook-cum Helper's budget deposited in Department of Education's account

Cook-cum Helper’s budget deposited in Department of Education’s account

भोपाल। प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग की शिक्षा, स्वास्थ्य सहित प्रधानमंत्री आवास योजना की स्थिति ठीक नहीं है। हालात यह है कि प्राइमरी स्कूलों में 50 और मिडिल स्कूलों में 40 फीसदी बच्चे हर साल पढ़ाई छोड़ देते है। यह बात अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामशंकर कथेरिया ने गुरूवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही।

प्रदेश में एससी के अपराधिक मामलों में न्यायालय में चार्जशीट पेश करने में देरी की जा रही है। इतना ही नहीं हत्या और बलात्कार की चार्जशीट में भी काफी अंतर देखने को मिला है। कथेरिया ने बताया कि आयोग ने पूरा दिन मध्यप्रदेश में एससी वर्ग के लिए चल रही योजनाओं और अपराध के मामले की समीक्षा की है। इसमें यह चौकानें वाले तथ्य उजागर हुए हैं।


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प्रो. कथेरिया ने बताया कि हर वर्ष एससी का दो से तीन हजार करोड़ रुपए का बजट सामान्य वर्ग के लिए खर्च किया जा रहा है। विभाग में जेंडर बजटिंग की राशि खर्च नहीं की जा रही है। इसी तरह से प्रमोशन में आरक्षण का मामला लटका हुआ है। मुख्यसचिव ने इस मामले को जल्द ही सुलझाने का वादा किया है।

प्रधानमंत्री आवास और आयुष्यमान योजना में कितने एससी वर्ग के लोगों को लाभ दिया गया इसके आंकड़े भी राज्य सरकार नहीं बता पाई। उन्होंने स्टैंडप योजना का उदाहरण देते हुए बताया कि हर बैंक को 10 लाख से 1 करोड़ रूपए लोन देना होता है। लेकिन मप्र में यह आंकड़ा काफी कम है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भरोसा दिलाया है कि वे इस दिशा में काम करेंगे।


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गंभीर घटनाओं में चार्जशीट पेश करने में देरी –


कथेरिया ने बताया कि गंभीर घटनाओं के मामले में चार्जशीट पेश करने में देरी की जा रही है। प्रमुख गृह सचिव और डीजीपी के साथ समीक्षा में आंकड़े सामने आए हैं। इनमें 2016 से 19 तक हत्या और बलात्कार की चार्जसीट में कई खामियां मिली हैं। जबकि हत्या में 2016 में 85 -2017 में 93- 2018 में 81, बलात्कार के मामले में 2016 में 474, २०१७ में 542 और 2018 में 492 हैं। जाति प्रमाण पत्र न मिलने के कारण 289 चार्जशीट कोर्ट में पेश नहीं हो पाई। सीवर में मौत के मामले में सहायता देने में सिथिलता बरती जा रही है।


तीन जोन में हत्या बलात्कार सबसे ज्यादा – प्रदेश के ग्वालियर, सागर और छतरपुर जोन में एसटी के हत्या और बलात्कार की घटनाएं अधिक हुई हैं। इस संबंध में उन्होंने डीजीपी से कहा कि कि वे टीम बनाकर शोध करें और स्पेशल व्यवस्था करें।

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