एमपी में स्कूली शिक्षा का नया नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क लागू होगा। इसके अंतर्गत प्रदेश में अगले सत्र से 9वीं से 12वीं तक सेमेस्टर प्रणाली से परीक्षाएं होंगी। इससे विद्यार्थियों को साल में दो बार परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
एमपी में स्कूली शिक्षा का नया नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क लागू होगा। इसके अंतर्गत प्रदेश में अगले सत्र से 9वीं से 12वीं तक सेमेस्टर प्रणाली से परीक्षाएं होंगी। इससे विद्यार्थियों को साल में दो बार परीक्षा देने का मौका मिलेगा। इससे यदि छात्र पहली बार में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है, तो उसे दूसरा मौका मिल सकेगा। इसमें पूरक परीक्षा की व्यवस्था भी खत्म हो सकती है। रटने वाली शिक्षा की बजाय प्रेक्टिकल तरीके से पढ़ाई होगी। बस्तों का भी बोझ कम होने के साथ परीक्षा का तनाव भी कम होगा।
प्रदेश में अगले सत्र से कक्षा नवमीं से 12वीं तक सेमेस्टर सिस्टम लागू करने की तैयारी चल रही है। शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा का नया नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क(एनसीएफ) तैयार किया है। इसमें सभी बोर्ड को सेमेस्टर प्रणाली अपनाने की सलाह दी गई है। इसे मध्यप्रदेश में भी लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है। हालांकि बोर्ड के अधिकारी फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार जो आदेश देगी उसी के अनुसार तैयारी की जाएगी।
एनसीएफ के अनुसार, बोर्ड परीक्षाओं में महीनों की कोङ्क्षचग और रट्टा लगाने की क्षमता की जगह छात्र-छात्राओं की समझ और दक्षता के स्तर का मूल्यांकन किया जाएगा। कक्षाओं में पाठ्य पुस्तकों को रटने की बजाए प्रैक्टिकल शिक्षा पर अधिक जोर रहेगा।
माध्यमिक शिक्षा मंडल मप्र के विद्या शाखा के प्रभारी, कमल किशोर वरवड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा व्यवस्था में काफी कुछ बदलाव किया जा रहा है। एनसीएफ के अनुसार तैयारी की जा रही है। यदि साल में दो बार परीक्षा होगी तो सिलेबस भी इसी हिसाब से तैयार किया जाएगा। यहां तक कि अंक योजना में भी परिवर्तन होगा। यह व्यवस्था छात्र-छात्राओं के लिए काफी लाभकारी होगी।
वर्तमान व्यवस्था
वर्तमान में माशिमं साल में एक बार छात्र-छात्राओं की परीक्षा कराता है। इसमें 10वीं कक्षा में विद्यार्थियों को दो विषय एवं 12वीं कक्षा में एक विषय में पूरक की पात्रता दी जाती है।
क्या होगा बदलाव
पूरक परीक्षा हो सकती है समाप्त
रुक जाना नहीं परीक्षा की भी नहीं होगी जरूरत
छात्रों की नहीं बदलना होगा बोर्ड
पहले चांस में यदि छात्रों के विषय रुकते हैं, तो छात्र के पास दूसरा मौका रहेगा।
सर्वश्रेष्ठ अंक बरकरार रखने का विकल्प मिलेगा।