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ध्रुपद गायन में सुरेखा ने लय से किए कई संगीतमय प्रयोग

बैठक- द आर्ट हाउस में राष्ट्रीय महिला संगीत व कला उत्सव 'स्वर चारिका' का शुभारंभ  

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ध्रुपद गायन में सुरेखा ने लय से किए कई संगीतमय प्रयोग

भोपाल। बैठक- द आर्ट हाउस में तीन दिवसीय राष्ट्रीय महिला संगीत एवं कला उत्सव 'स्वर चारिका' का की शुरुआत हुई। इस समारोह में राष्ट्रीय स्तर की स्थापित 12 महिला संगीतज्ञ शिरकत कर रही हैं। यह संगीत आयोजन महिलाओं के उपलब्धियों, सशक्तिकरण ओर सम्मान के लिए आयोजित किया जा रहा है। जोकि विश्व की महान संगीतज्ञ अन्नपूर्णा देवी को समर्पित है। कार्यक्रम की शुरुआत सुरेखा कांबले के ध्रुपद गायन से हुई। उन्होंने राग भोपाली का चयन करते हुए ध्रुपद में डागर घराने के पारम्परिक अलाप जोड़ झाले से शुरुआत की। सुरेखा के गायन में स्वरों की स्पष्टता, मधुरता और ऊर्जा नजर आई।

गायन को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने पारम्परिक डागर बंदिश 'तान तलवार तार की सिफर लिए फिरत' को चौताल में पेश किया। इसी क्रम में सूल ताल में 'शंकर सूत गनेशा' को सुर-ताल के प्रवाह में गाया। सुरेखा अपने गायन में लय से संगीतमय प्रयोगों के लिए जानी जाती हैं। प्रस्तुति के दौरान पखवाज पर बड़ौदा, गुजरात से आए धवल मिस्त्री ने संगत दी। वहीं गायन में मनोहर हिरवानी और बगिशा झा ने संगत दी।

शोभा ने राग मारू विहाग में दी प्रस्तुति
इसके बाद इंदौर की खयाल गायिका शोभा चौधरी ने राग मारू विहाग का चयन करते हुए कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। उनके साथ तबले पर इंदौर से आईं संगीता अग्निहोत्री और हारमोनियम पर डॉ. रचना शर्मा ने संगत दी। आयोजन के दौरान सुबह 10 से रात 8 बजे तक महिलाओं द्वारा चित्र कला व क्राफ्ट की कलात्मक कृतियों का भी प्रदर्शन किया जा रहा है।