
Shrikrishna Janmashtami 2024: जन्माष्टमी 2024 के पहले मोहन सरकार कृष्णमय हो गई है। बैंकों सहित प्रदेश में अवकाश के साथ ही स्कूलों में, जिलों में धूमधाम से जन्माष्टमी मनाने के आदेश जारी किए गए। इसके बाद सीएम डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने श्रीकृष्ण से जुड़े प्रदेश के चारों धामों को तीर्थ के रूप में विकसित करने की घोषणा की।
जन्माष्टमी (Janmashtami 2024) पर मंत्री भी सांदीपनि आश्रम उज्जैन, नारायणधाम महिदपुर, अमझेरा और जानापांव में रहेंगे। सरकार ने संभाग में कमिश्नर और जिलों में कलेक्टरों को जनमानस के लिए बेहतर इंतजाम की जिम्मेदारी दी है।
5000 साल पहले श्रीकृष्ण ने यहां लिया था शिक्षा का ज्ञान धार्मिक नगरी उज्जैन में करीब 5 हजार साल पुराना महर्षि सांदीपनि आश्रम हैं। यहां भगवान श्रीकृष्ण ने बड़े भाई बलराम और सखा सुदामा के साथ शिक्षा ली। उन्होंने यहां रहकर 64 दिनों में 64 विद्याओं और 16 कलाओं का ज्ञान महर्षि सांदीपनि से प्राप्त किया था।
कहा जाता है कि सुदामा (Sudama) ने कृष्ण (Krishna) से छुपाकर चने खाए थे, जिसके बाद उन्हें दरिद्र होने का मिला श्राप था। उज्जैन की महिदपुर तहसील के 9 किमी दूर नारायणा में एक मंदिर है, जिसे कृष्णसुदामा धाम नाम से जाना जाता है। श्रीकृष्ण सखा सुदामा के साथ जंगल में लकड़ियां बीनने गए। अचानक बारिश में एक पेड़ पर उन्हें रात गुजारना पड़ी। इस दौरान सुदामा ने कृष्ण से छुपाकर चने खाए थे, इससे उन्हें यहां दरिद्र होने का श्राप भी मिला था।
यहां सुदर्शन चक्र धारण करने के बाद कहलाए सुदर्शनधारी महू के जानापाव से कृष्ण का गहरा नाता रहा। भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव पर ही भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ। उन्होंने चक्र अंगुली में धारण किया। पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण भाई बलराम के साथ जानापाव आए, वहां परशुराम ने सुदर्शन चक्र प्रदान किया था।
अमका-झमका मंदिर में किया था रुक्मिणी का हरण धार जिले का अमझेरा पौराणिक महत्व रखता है। मान्यता है कि द्वापर में श्रीकृष्ण अमझेरा स्थित मां अमका-झमका मंदिर से रुक्मणी का हरण कर साथ ले गए थे। यहां भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के भाई रुखमी के बीच युद्ध हुआ। युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने रुखमी को परास्त किया।
Published on:
24 Aug 2024 09:38 am
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