वन विहार डायरेक्ट एचसी गुप्ता ने बताया कि, पार्क में पक्षी व्याख्यान केन्द्र, तितली व्याख्यान केन्द्र सहित वन विहार व्याख्या केन्द्र पहले से मौजूद हैं जिसमें पक्षी, तितलियों सहित कई वन्य प्राणियों की जानकारी पर्यटकों को मिल जाती है, लेकिन सांपों के लिए व्याख्यान केन्द्र नहीं था। सांपों के बारे में आम नागरिकों में कई भ्रांतियां भी है, ऐसे में इस केन्द्र की जरूरत थी जिसके चलते इसे शुरू किया गया है।
इन भ्रांतियों का निदान
कोई भी सांप प्रतिशोध नहीं लेता, वह आत्मरक्षा के लिए ही काटता है। कोई सांप दूध नहीं पीता, नही नाग के पास पारसमणि होती है, न ही मूंछ या बाल होते हैं। सांप न तो संगीत सुनते हैं, न ही बीन की धुन पर नाचते हैं। सांप एवं गोयरा के फुस्कारने से जहर नहीं लगता। किसी भी सांप की पूछ में जहर नहीं होता.
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सांपों से संबंधित एक अहम भ्रांति यह है कि देखनेवालों को सांप सम्माहित कर लेता है. इसके लिए लोगों का तर्क होता है कि किसी भी सांप को सामने से देखो, वह लोगों को एकटक देखता रहता है. इस संबंध में विशेषज्ञ खुलासा करते हैं कि दरअसल सांप की पलकें नहीं होती इसलिए वे एकटक देखते हैं. इसे देखकर यह भ्रांति पाल ली गई कि वे सम्मोहित करते हैं।