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धान की होगी बंपर पैदावार, खेतों में इस तरह छिड़कें यूरिया डीएपी और पोटाश

खेती के लिए खाद का सही उपयोग  

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भोपाल. मानसून आने के साथ ही धान की बोवनी की तैयारी शुरू हो गई है. जहां एक ओर इसके लिए खेत तैयार किए जा रहे हैं वहीं खाद आदि की व्यवस्था भी की जा रही है. राज्य सरकार यूरिया, डीएपी और पोटाश पर्याप्त मात्रा में होने का दावा कर रही है। किसानों ने खाद—उर्वरक खरीद भी लिए हैं। प्रदेश में यूं तो धान प्रचुर मात्रा में होती है लेकिन खाद आदि डालने में कुछ सावधानी बरती जाएं तो इसकी बंपर पैदावार ली जा सकती है।

धान के लिए मुख्यतः नाइट्रोजन (नत्रजन), फास्फोरस एवं पोटाश की जरूरत होती है- कृषि विशेषज्ञों के अनुसार धान के लिए मुख्यतः नाइट्रोजन (नत्रजन), फास्फोरस एवं पोटाश की जरूरत होती है। इन तीन प्रमुख पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए किसान प्राय: कुछ आम मानी जानेवाली खादों का छिड़काव करते हैं। नाइट्रोजन के लिए किसान यूरिया डालते हैं वहीं फास्फोरस के लिए डीएपी और पोटाश के लिए म्यूरेट आफ पोटाश, एनपीके के लिए मिश्रित उर्वरक डालते हैं।

कब कितनी खाद डालें
खेत की जुताई के समय वर्मी, सुपर कम्पोस्ट खाद खेत में मिलाना अच्छा रहता है. इसके लिए 6 से 8 क्विंटल मात्रा पर्याप्त होती है। खेत की तैयारी के समय धान की जल्दी पकने वाली वेरायटी के लिए 24 किलोग्राम यूरिया यानि 1 बोरी यूरिया, 24 किलोग्राम फास्फोरस यानि 1 बोरी डीएपी तथा 24 किलोग्राम पोटाश यानि आधा बोरी पोटाश प्रति एकड़ डालने से पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। इसके बाद कंसे निकलते तक खाद नहीं डालना चाहिए। 45-50 दिन बाद कंसे फूटने लगे तब पत्तियों पर 24 किलोग्राम नत्रजन पुन: छिड़कना चाहिए।

45-50 दिन बाद धान में कंसे फूटने पर 30 किलोग्राम नत्रजन पुन: पत्तियों पर छिड़कना चाहिए- मध्यम पकने वाली वेरायटी के लिए खेत तैयारी के समय प्रति एकड़ 30 किलोग्राम नत्रजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस 24 किलोग्राम पोटाश डाली जा सकती है। 45-50 दिन बाद धान में कंसे फूटने पर 30 किलोग्राम नत्रजन पुन: पत्तियों पर छिड़कना चाहिए।