शिवराज सिंह चौहान का जन्म सीहोर Sehore जिले के जैत गांव में 5 मार्च 1959 को हुआ था। इस गांव से निकलकर उनका मुख्यमंत्री बनने तक का सफर काफी रोचक है। उनके पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान और माता का नाम सुंदर बाई है। शिवराज जब स्कूल में पढ़ते थे, तब इतनी कम उम्र में ही उन्होंने अपने गांव में मजदूरों को मेहनत का दोगुना पैसा दिलाने के लिए आंदोलन छेड़ दिया था। यह कम ही लोग जानते हैं कि इतने छोटे बच्चे के साथ सैकड़ों मजदूर एकत्र भी हो गए थे और शिवराज के नेतृत्व में ही हक मांगा और उनकी मांग भी पूरी हो गई। आंदोलन से अपनी राजनीति का सफर शुरू करने वाले शिवराज सिंह चौहान आज MP के CM हैं।
इससे पहले Shivraj ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर में स्वर्ण पदक के साथ शिक्षा प्राप्त की। 1975 में मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल में पढ़ाई की और छात्रसंघ अध्यक्ष बनकर राजनीति में कदम रखा। आपात काल का विरोध और 1976-77 में भोपाल जेल में बंद होने के बाद वे चर्चाओं में आने लगे। लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन करने लगे और कई बार जेल गए। 1977 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं।
जैत से शुरू हुआ राजनीति का सफर
सबसे पहले शिवराज विद्यार्थी परिषद ABVP के सदस्य बने थे। फिर उन्हें भोपाल BHOPAL के मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल के छात्र संघ के चुनाव में लडऩे का मौका मिला। वर्ष 1975 में 16 वर्ष के इस किशोर को छात्र संघ का अध्यक्ष चुन लिया गया। युवा वर्ग में वे एक प्रखर छात्र नेता के रूप में उभरने लगे थे। धारा प्रवाह और धारदार भाषण देने की शैली बचपन से ही उनमें आ गई और वे लोकप्रिय होने लगे। शिवराज राष्ट्रीय मुददों पर भी छात्र-छात्राओं के बीच ओजस्वी वाक् कला के लिए चर्चित होने लगे।
एक नोट और एक वोट से बने स्टार प्रचार
1990 में शिवराज को भाजपा BJP संगठन ने बुदनी से चुनाव लड़ने को कहा गया। इससे पहले शिवराज 13 सालों तक पार्टी के लिए लोकसभा, विधानसभा के अलावा स्थानीय चुनावों में धुआंधार प्रचार कर चुके थे। प्रचार के दौरान शिवराज ग्रामीणों से मिले भोजन पर ही निर्भर रहते थे। शिवराज सिंह ने मतदाताओं से एक वोट और एक नोट मांगा। इस नारे ने उन्हें स्टार बना दिया।
ऐसे बने प्रदेश के मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान 2005 में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बने थे। चौहान को 29 नवंबर 2005 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। वे चौथी बार के मुख्यमंत्री हैं। शिवराज पांच बार सांसद रहे। पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी के विदिशा सीट छोड़ने पर 10वीं लोकसभा के लिए (1991) में सांसद चुने गए। 11वीं लोकसभा (1996) में शिवराज विदिशा से दोबारा सांसद चुने गए। 12वीं लोकसभा के लिए 1998 में विदिशा क्षेत्र से ही वे तीसरी बार, 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए चौथी बार और 15वीं लोकसभा के लिए विदिशा से ही पांचवीं बार सांसद चुने गए। उनसे पहले अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
6 मई 1992 को साधना के साथ शादी के बंधन में बंधे
शिवराज सिंह चौहान सांसद बनने के बाद 6 मई 1992 को साधना सिंह के साथ शादी के बंधन में बंध गए। साधना गोंदिया के मसानी परिवार की बेटी हैं। शिवराज और साधना के दो बेटे हैं। शिवराज परिवार के साथ शहरी स्वर्णकार कॉलोनी के एक छोटे से मकान में रहा करते थे, लेकिन सांसद बनने पर लोगों का आना-जाना बढ़ा तो उन्होंने विदिशा में शेरपुरा स्थित दो मंजिला भवन किराए पर ले लिया।