
Subhadra Kumari Chauhan Jhansi Ki Rani Poem
जबलपुर। क्या आपने कविता 'वीरों का कैसा हो वसंत' सुनी है? यदि नहीं तो - 'बुंदेलों हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी'- यह अमर रचना तो जरूर सुनी-पढ़ी होगी। झांसी की रानी की इस कहानी से प्रेरित होकर लाखों युवक-युवतियों ने खुद को स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित कर दिया था। उत्कट देश प्रेम की यह कविता सुभद्रा कुमारी चौहान की है।
16 अगस्त को उनके जन्मदिवस पर हर कोई उन्हें याद कर रहा है। 1904 में उनका जन्म हुआ और स्वतंत्रता मिलने के कुछ माह बाद ही 1948 में उनकी मौत हो गई थी। उनका जीवन महज 44 साल का रहा पर देश के स्वाधीनता संघर्ष में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी- जब देशभर में गूंजने लगी तो अंग्रेज थर्रा उठे थे।
कवियित्री के कंठ की इस पुकार ने युवाओं के हृदय में मानो आग फूँक दी थी। बुरी तरह घबराए अंग्रेजों ने इस रचना को जब्त कर लिया पर कवियित्री अपना काम कर चुकीं थीं। आज भी बच्चे-बच्चे को यह कविता मुंहजुबानी याद रहती है। सुभद्रा कुमारी का जन्म इलाहाबाद के पास के निहालपुर गांव में हुआ था। उनके पिता जमींदार थे पर सुभद्रा माई के ह्दय में देशप्रेम की लहरें हिलोरें लेती थीं।
वे सादगी की प्रतिमूर्ति थीं, उनका रहन-सहन सादा था, पर विचारों से वे क्रांतिकारी थीं। कम उम्र में ही वे कविता लिखने लगीं और खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ विवाह के बाद वे जबलपुर आ गई थीं। 1920-21 में चौहान दंपत्ति अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य के रूप मेें घर-घर में कांग्रेस का संदेश पहुँचाने के काम में लगे थे।
उन्हें गहनों और कपड़ों का शौक तो बहुत था पर वेे न तो चूड़ी पहनतीं थीं और न ही बिंदी लगातीं थींं। वे बिना किनारी वाली सूती साड़ी पहनती थीं जोकि सुभद्रा माई की पहचान ही बन गई। उनकी वेशभूषा देखकर गांधीजी ने उनसे पूछ ही लिया- , 'बेन! तुम्हारा ब्याह हो गया ?' सुभद्रा ने जब हामी भरी तो उन्होंने सिन्दूर नहीं लगाने और चूडिय़ाँ नहीं पहनने पर उन्हें डांटा भी।
पहली महिला सत्याग्रही
जबलपुर के 'झंडा सत्याग्रह' में शामिल होकर सुभद्रा माई पहली महिला सत्याग्रही बनीं। वे उन दिनों रोज़ सभाएँ लेती थीं। इस सत्याग्रह में उनकी भूमिका देख उन्हें लोकल सरोजिनी नायडू कहा जाने लगा था। राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत सुभद्रा माई देश पर कुर्बान हुए वीरों को नौजवानों का प्रेरणा स्रोत मानती थीं।
Published on:
16 Aug 2021 11:03 am
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