21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आजादी के सात दशक बाद भी मध्य प्रदेश की ऐसी तस्वीर

प्रदेश में विकास के दावों की पोल खोलती ये तस्वीरें जिनमें प्रसूति के लिए गर्भवती को आठ किमी झोली में डालकर ले जाना पड़ा वही, दूसरी तस्वीर में बीमार महिला को खाट पर एक किमी ले गए ग्रामीण।

2 min read
Google source verification
vikas.png

बड़वानी/अनूपपुर/भोपाल. स्वर्णिम मध्य प्रदेश के दावे करने वाली सरकारों को अपने विकास की यह तस्वीर देखनी चाहिए। ये तस्वीर प्रदेश में सत्तसीन रही सरकारों के किए विकास के दावों की हकीकत बयां करती है। यह तस्वीर गाहे बगाहे सामने आती रहती है। इस बार प्रदेश दो जिलों की तस्वीर देखकर आप खुद सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।

Must See: फोडिंग स्टे्रचर के सहारे गर्भवती को लाए पहाड़ी के नीचे, जननी वाहन से पहुंचाया स्वास्थ्य केंद्र

पहली तस्वीर बड़वानी जिले के पानसेमल विकासखंड के तहत टेमला के खामघाट की है जहां डिलीवरी के लिए झोली में बांधकर गर्भवती महिला को आठ कलोमीटर लाना पड़ा। इसके बाद उसे जननी एक्सप्रेस में बैठाकर महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पानसेमल पहुंचाया। महिला के साथ आए परिजनों ने कहा कि हमने सड़क के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से बातचीत की, लेकिन अभी तक कोई भी परिणाम नहीं निकला। जबकि जिले में एक मंत्री, एक सांसद, एक राज्य सभा संसाद और विधायक हैं।

Must See: पाताल से बूंद-बूंद कर भर रहे पानी, गधों पर डिब्बे लाद ऊंची पहाड़ी बने मकान तक ले जा रहे पानी

दूसरी तस्वीर आदिवासी बाहुल्य जिले अनूपपुर की है जहां गांव के लिए सड़क नहीं होने पर, बीमार महिला को खाट पर लेटाकर एक किमी दूर तक ले जाना पड़ा। उसके बाद महिला को एम्बुलेंस से जिला अस्पताल पहुंचाया। मामला जनपद पंचायत धुरवासिन के कोटमी गांव का है। गांव में पक्की सड़क न होने की वजह से बारिश में हालत बिगड़ जाते हैं। गांव की सीमा में आपातकालीन स्वास्थ्य परिवहन सेवाएं भी नहीं पहुंच पाती हैं।

Must See: 2018 में हुआ भूमिपूजन, तीन वर्ष बाद भी सडक़ निर्माण अधूरा

ग्रामीणो ने बताया कि गांव कोटमी निवासी अनुराधा यादव के पैर में चोट लग जाने के कारण मरीज का चलना मुश्किल था। जिसके इलाज के लिए परिजनों ने 108 एंबुलेंस को सूचना देकर वाहन सुविधा बुलाया, लेकिन एम्बुलेंस वाहन जब गांव की सीमा पर पहुंची तो आगे सड़क ही गायब हो गई। पगडंडी सड़क को देखते हुए चालक ने अंदर ले जाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद एम्बुलेंस वाहन के इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशीयन मानसिंह के साथ मरीज के परिजनों द्वारा खाट पर मरीज को लेटाकर लगभग एक किलोमीटर तक का दूरी तय करते हुए एंबुलेंस वाहन तक पहुंचाया।

Must See: पेयजल समस्या से परेशान नंद गांव के ग्रामीण, टैंकर से पानी परिवहन की सुविधा बंद

इसके बाद दोबारा एम्बुलेंस वाहन की मदद से मरीज को प्राथमिक उपचार के लिए जिला अस्पताल अनूपपुर भेजा गया। बताया गया कि पंचायत से बस्ती का हिस्सा आज भी सड़क के अभाव में लगभग कटा माना जाता है। ग्रामीणों द्वारा सड़क निर्माण के लिए कई बार मांग की गई। पंचायत द्वारा प्रस्ताव बनाकर तैयारी भी की गई, लेकिन सड़क नहीं बन सकी है।

Must See: खुले आसमान में लकड़ी की बल्लियों के सहारे चढ़ा रहे सलाइन