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supream court: सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर सरकार मांगे और तथ्य

फैसला सुरक्षित: अभी दो दिन और होगी सुनवाई

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supream court: सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर सरकार मांगे और तथ्य

supream court: सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर सरकार मांगे और तथ्य

भोपाल. प्रदेश में पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार से कुछ तथ्य भी तलब किए हैं। अब इस मामले में बुधवार सुबह 10 बजे और गुरुवार दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी, जिसमें ओबीसी आरक्षण पर फैसला सुनाया जा सकता है। सरकार ने चुनाव के लिए 4 सप्ताह की मोहलत भी मांगी है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के स्थानीय चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। इसकी तैयारी भी हो गई है, लेकिन इस बीच प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की है। अभी तक कोर्ट में मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट पेश की जा चुकी है। इसके विभिन्न तथ्यों को देखा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से वार्डवार ओबीसी वोटरों के संबंध में जानकारी भी मांगी है।
मोडिफिकेशन पीटिशन में ये तथ्य
चुनाव कराने के लिए मांगी मोहलत
सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की एक और रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर पहले के निर्णय में मोडिफिकेशन मांगा है। यह रिपोर्ट स्थानीय निकायवार आरक्षण प्रतिशत के संबंध में है। इसमें अपील की गई है कि इसके आधार पर ओबीसी आरक्षण अधिसूचित करने की अनुमति दें। इसके लिए 4 सप्ताह का समय मांगा गया है। साथ ही कहा गया कि समानतापूर्वक इतना समय एससी-एसटी आरक्षण के लिए भी लगेगा। साथ ही सरकार ने 2022 में किए गए परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की अनुमति मांगी है।
सरकार देगी और तथ्य
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कुछ और जानकारी मांगी हैं, जिसे जल्द उपलब्ध करा दिया जाएगा। सरकार 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराना चाहती है। इस कारण कोर्ट में सारे तथ्य रखे गए हैं। जबकि मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की जो रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई है, उसमें 35 फीसदी ओबीसी आरक्षण की मांग की गई है।
इधर, चुनाव की पूरी तैयारी
सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह में चुनाव की अधिसूचना जारी करने के आदेश दिए हैं। आयोग अपने स्तर पर तैयारी कर चुका है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग से उन निकायों की जानकारी मांगी गई है, जहां कार्यकाल पूरा हो चुका है। वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से नए परिसीमन के आधार पर आरक्षण करने के लिए कहा गया है।
जनगणना 2011 है आधार
सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए 2011 की जनगणना के तथ्य पेश किए हैं। कोर्ट में विभिन्न पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपने तर्क रखे। मूल याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से कहा गया कि यदि आयोग और राज्य सरकार ड्यूटी सही ढंग से नहीं कर पाती तो उसका खामियाजा किसी वर्ग को क्यों उठाना पड़े। गलती करने वाले को दंडित करना चाहिए।