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डंपर घोटाले में शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी को बड़ी राहत, जानिए क्या है पूरा मामला

डंपर घोटाले में शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी को बड़ी राहत, जानिए क्या है पूरा मामला

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भोपाल

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Manish Geete

Sep 20, 2018

supreme court

supreme court dismisses review petition on dumper scam election 2018 news

नई दिल्ली/भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा ने दोनों के खिलाफ बहुचर्चित डंपर घोटाले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी जो खारिज कर दी गई। इसे सीएम शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आप उनके खिलाफ चुनाव लड़ें
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के बहुचर्चित डंपर कांड पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को बड़ी राहत देते हुए कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है। कोर्ट ने मिश्रा से यह भी कहा कि मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं आप उनके खिलाफ चुनाव लड़िए।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी खारिज की थी याचिका
इससे पहले फरवरी 2018 में कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा की याचिका को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि दायर याचिका में उठाए गए सवाल सुनवाई योग्य नहीं है।

यह थे मिश्रा के आरोप
कांग्रेस प्रवक्ता मिश्रा ने दायिक याचिका में कहा था कि शिवराज सिंह चौहान 29 नवम्बर 2005 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।
-4 अप्रैल 2006 को चुनाव लड़ने के दौरान चौहान ने अपने नामांकन में पत्नी साधना सिंह के बैंक खाते में 2 लाख 30 हजार रुपए बताए थे।
-याचिका में आरोप लगाया था कि इतनी कम राशि से दो करोड़ रुपए कीमत के चार डंपर नहीं खरीदे जा सकते थे।
-सीएम की पत्नी के नाम पर चारों डंपर दर्ज थे और उसमें पता जेपी नगर प्लांट रीवा का पता दर्ज था।

कब हुआ था खुलासा
केके मिश्रा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इस मामले का खुलासा होने पर रीवा RTO के दस्तावेजों में हेरफेर कर पूरा रिकार्ड ही नष्ट कर दिया गया था।
-जेपी एसोसिएट्स को भी लाभ पहुंचाने के मामले में चुनौती देकर नवम्बर 2007 में रमेश साहू ने एक परिवाद दायर किया था।
-तब भोपाल जिला न्यायालय ने सीएम और अन्य के खिलाफ लोकायुक्त जांच के निर्देश दिए थे।
-साक्ष्य के अभाव में लोकायुक्त ने सीएम समेत अन्य के खिलाफ समापन रपट न्यायालय में पेश कर दी थी। इस आधार पर निचली अदालत ने परिवाद खारिज कर दिया था।
-तब डंपर घोटाले को उठाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने नए साक्ष्यों और तथ्यों के साथ एक परिवाद दायर किया था, जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया था।
-इसके बाद मिश्रा हाईकोर्ट गए, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन दोनों ही जगहों से उनकी याचिका खारिज हो गई।