
भोपाल. भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय को सामूहिक दुष्कर्म और धमकी देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खासा झटका दिया है। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के एफआइआर दर्ज करने के आदेश को रद्द कर दिया। वहीं कलकत्ता हाईकोर्ट से मजिस्ट्रेट कोर्ट को दिए नए सिरे से कार्यवाही करने के आदेश को यथावत रखा है। इससे अधीनस्थ कोर्ट को तीसरी बार कार्यवाही शुरू करनी होगी।
न्यायाधीश एमआर शाह व संजीव खन्ना की खंडपीठ ने विजयवर्गीय की अपीलों को निस्तारित कर यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा, मजिस्ट्रेट कोर्ट मामले का परीक्षण कर विवेकाधिकार का प्रयोग करे और तय करे कि एफआइआर दर्ज करने का आदेश देना है या नहीं या फिर सीधे संज्ञान लेकर अपने स्तर पर जांच शुरू की जाए।
इन दोनों के अलावा मजिस्ट्रेट कोर्ट को यह भी विकल्प दिया कि निर्णय लेने से पहले अब तक सामने आए दस्तावेजों के आधार पर पुलिस को प्रारंभिक जांच (पी.ई.) का आदेश भी दिया जा सकता है, ताकि पता चले कि परिवाद के आधार पर अपराध बनता है या नहीं।
यह था मामला
अधीनस्थ अदालत में दायर परिवाद में कहा गया था कि नवम्बर 2018 में विजयवर्गीय के अपार्टमेंट में विजयवर्गीय सहित तीन जनों ने महिला से बलात्कार किया। महिला को विजयवर्गीय के अपार्टमेंट पर एक मामले में चर्चा के लिए बुलाया गया था। महिला ने एक मामले में बेहाला महिला थाने में शिकायत की, जिस पर एफआईआर दर्ज हो गई।
कैलाश विजयवर्गीय, प्रदीप जोशी व जिष्णु वसु ने महिला पर मामला वापस लेने के लिए दवाब बनाया। इसी मामले पर चर्चा करने के लिए महिला को विजयवर्गीय के अपार्टमेंट पर बुलाया गया, जहां विजयवर्गीय सहित तीनों ने बलात्कार किया। इस बारे में पुलिस के उच्चाधिकारियों तक की शिकायत की गई, लेकिन एफआइआर दर्ज नहीं की गई।
Published on:
10 May 2023 11:55 am
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