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अंधत्व निवारण की दवा खरीदी में आंखों में झोंकी धूल

फर्जी टेंडर के सहारे सरकार को लगाया चूना सीहोर का मामला ईओडब्ल्यू पहुंचा  

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भोपाल

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Arun Tiwari

Jul 08, 2021

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भोपाल : ये मामला सीहोर के सीएमएचओ कार्यालय का है। स्टोर कीपर और मेडिकल संचालक ने फर्जी टेंडर निकालकर अंधत्व निवारण की दवा खरीदी कर सरकार की आंखों में धूल झोंक दी। मजेदार बात ये है कि इस दवा की खरीदी बाजार मूल्य से तीन सौ गुना ज्यादा दर पर की गई। सात करोड़ की दवा और उपकरण की खरीदी की गई। टेंडर की प्रक्रिया की तो गई लेकिन फर्जी तरीके से टेंडर पहले से निर्धारित की गई फर्म को दे दिया गया। टेंडर मेडिकल संचालक की फर्म को ही मिला। मामला ईओडब्ल्यू पहुंच गया है। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

इस तरह की गई गड़बड़ी :
सीएमएचओ कार्यालय सीहोर ने साल 2017 में अंधत्व निवारण की दवा और उपकरण खरीदी के लिए टेंडर बुलाए। टेंडर के जरिए दवा से लेकर चश्मा, उपकरण और यहां तक कि अस्तपाल में उपयोग होने वाली झाड़ू तक की खरीदी होनी थी। इसमें कई फर्मोँ ने टेंडर डाले। जानकारी के मुताबिक टेंडर बुलाने के बाद दस्तावेजों में हेरफेर किया गया। सामग्री की आपूर्ति का काम मेडिकल संचालक मुकेश मालवीय की फर्म संजय मेडिकल को दे दिया गया। गौर करने बात ये भी है कि काम संजय मेडिकल को दिया गया लेकिन उसमें डीडी किसी अन्य फर्म का लगाया गया। बिना सहमति के दूसरी फर्म का डीडी का इस्तेमाल अपराध की श्रेणी में आता है। मुकेश मालवीय की फर्म को फायदा पहुंचाया गया। इसका खुलासा 2018 की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ था। इस ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया था कि दवा और उपकरण को बाजार मूल्य से तीन सौ गुना ज्यादा कीमत में खरीदा गया। ऐसा कर सरकार को दो तरीके से हानि पहुंचाई गई। एक तो गलत डीडी का उपयोग किया गया और दूसरा बाजार दर से ज्यादा कीमत पर खरीदी की गई।

ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया मुकदमा :
इस मामले में हाल ही में ईओडब्ल्यू ने मुकदमा दर्ज किया है। स्टोर कीपर केवी वर्मा और संजय मेडिकल के प्रोपाराइटर मुकेश मालवीय के साथ ही अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। ईओडब्ल्यू से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी और इस मामले से जुड़े लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे अन्य नामों का खुलासा होता जाएगा। साक्ष्यों के आधार पर उनको भी आरोपी बनाया जाएगा। इस जांच में ये भी पता लगाया जाएगा कि टेंडर जारी करने का अधिकार किसे था और किस आधार पर टेंडर जारी किया गया।