
बदलते मौसम में ऐसे बढ़ाएं अपनी प्रतिरोधक क्षमता! बारिश के मौसम में भी पास नहीं फटकेंगी बीमारियां
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जल्द ही मानसून पहुंचने वाला है,ऐसे में आसमान में बादलों के चलते कभी बारिश तो कभी उमस हो रही है। जानकारों के अनुसार मौसम में ये बदलाव जहां एक ओर बीमारियों को बढ़ावा दे रहा है,वहीं इस दौरान हमारी इम्यूनिटी पावर यानि प्रतिरोधक क्षमता tips for increaseing your immunity power को भी कमजोर करता है। जिसके कारण हम आसानी से बीमारी की चपेट में आ जाते हैं।
बदलते मौसम में मौसमी बीमारियां उन लोगों को ज्यादा तंग करती हैं, जिनकी जीवनी शक्ति (इम्यूनिटी) tips for increaseing your immunity power कमजोर हो गई है। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity power) को बेहतर बनाएं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी, तो कई बड़ी बीमारियों और इंफेक्शंस से भी शरीर खुद-ब-खुद अपना बचाव कर लेगा।
डॉ. राजकुमार के अनुसार जीवित लोगों में रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) नाम का एक ऐसा मेकनिजम होता है, जो इन बैक्टीरिया, वायरस और माइक्रोब्स को शरीर से दूर रखता है।
इंसान के मरते ही उसका इम्यून सिस्टम(increase your immunity power) भी खत्म हो जाता है और शरीर पर हमला करने की ताक में बैठे माइक्रोब्स बॉडी को अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। यानी हमारे शरीर के भीतर एक प्रोटेक्शन मेकनिजम है, जो शरीर की तमाम रोगों से सुरक्षा करता है। इसे ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं।
जानिये क्या है प्रतिरोधक तंत्र:
डॉ. राजकुमार के मुताबिक वातावरण में मौजूद तमाम बैक्टीरिया और वायरस को हम लगातार सांस के जरिये अंदर लेते रहते हैं, लेकिन ये बैक्टीरिया हमें नुकसान tips for increaseing your immunity power इसलिए नहीं पहुंचा पाते क्योकिं हमारा प्रतिरोधक तंत्र इनसे हर समय लड़ते हुए इन्हें हराता है।
कई बार जब इन बाहरी कीटाणुओं की ताकत बढ़ जाती है तो ये शरीर के प्रतिरोधक तंत्र(immunity power) को भेद जाते हैं। नतीजन कई मौसमी बीमारियां हमें घेर लेती हैं। सर्दी, जुकाम इस बात का संकेत हैं कि आपका प्रतिरोधक तंत्र कीटाणुओं को रोक पाने में नाकामयाब हो गया। कुछ दिन में आप ठीक हो जाते हैं। इसका मतलब है कि तंत्र ने फिर से जोर लगाया और कीटाणुओं को हरा दिया।
अगर प्रतिरोधक तंत्र tips for increaseing your immunity power ने दोबारा जोर न लगाया होता तो इंसान को जुकाम, सर्दी से कभी राहत ही नहीं मिलती। इसी तरह कुछ लोगों को किसी खास चीज से एलर्जी होती है और कुछ को उस चीज से नहीं होती। इसकी वजह यह है कि जिस शख्स को एलर्जी हो रही है, उसका प्रतिरोधक तंत्र(immunity) उस चीज पर रिऐक्शन कर रहा है, जबकि दूसरों का तंत्र उसी चीज पर सामान्य व्यवहार करता है।
इसी तरह डायबीटीज में भी प्रतिरोधक तंत्र पैनक्रियाज में मौजूद सेल्स को गलत तरीके से मारने लगता है। ज्यादातर लोगों में बीमारियों की मुख्य वजह वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है। इनकी वजह से खांसी-जुकाम से लेकर खसरा, मलेरिया जैसे रोग हो सकते हैं। इन इंफेक्शन से शरीर की रक्षा करने का काम ही करता है इम्यून सिस्टम।
इम्यूनिटी में आ रही है कमी(increase immunity power tips):
डॉक्टरों के मुताबिक अनियमित खानपान, अनिद्रा, देर रात तक कार्य करने की आदत और अनियमित दिनचर्या के कारण लोगों में इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) घट रही है।
इसके अलावा डॉक्टरों के मुताबिक मौसम बदलाव के दौरान भी बाहरी बेक्टेरिया व वारयस ज्यादा शक्तिशाली हो जाते है और इस समय शरीर में कई तरह के वारयस अटेक करते हैं जिससे हमारी इम्यून क्षमता प्रभावित होती है।
इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय(increase immunity power):
खानपान : रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण शरीर खुद कर लेता है। सभी ऐसी चीजें जो सेहतमंद खाने में आती हैं, उन्हें लेना चाहिए। इनकी मदद से शरीर इस काबिल बन जाता है कि वह खुद अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।
रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण शरीर खुद कर लेता है। ऐसा नहीं है कि आपने बाहर से कोई चीज खाया और उसने जाकर सीधे आपकी प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा कर दिया। इसलिए ऐसी सभी चीजें जो सेहतमंद खाने में आती हैं, उन्हें लेना चाहिए।
इनकी मदद से शरीर इस काबिल बन जाता है कि वह खुद अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके। आयुर्वेद के मुताबिक, कोई भी खाना जो आपके ओज में वृद्धि करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार है।
जो खाना अम बढ़ाता है, वह नुकसानदायक है। बाजार में मिलने वाले फूड सप्लिमेंट्स का फायदा उन लोगों के लिए है, जो लोग खाने में सलाद नहीं लेते, वक्त पर खाना नहीं खाते, गरिष्ठ और जंक फूड ज्यादा खाते हैं, वे अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इन सप्लिमेंट्स की मदद ले सकते हैं।
इसके अलावा प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से जितना हो सके, बचना चाहिए। ऐसी चीजें जिनमें प्रिजरवेटिव्स मिले हों, उनसे भी बचना चाहिए। विटामिन सी और बीटा कैरोटींस जहां भी है, वह इम्युनिटी बढ़ाता है।
इसके लिए मौसमी, संतरा, नींबू लें। जिंक का भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बड़ा हाथ है। जिंक का सबसे बड़ा स्त्रोत सीफूड है, लेकिन ड्राई फ्रूट्स में भी जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है।फल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं।
बच्चों में इम्युनिटी :
इम्युनिटी की नींव गर्भावस्था से ही पड़ने लगती है। इसलिए जो माताएं चाहती हैं कि उनके बच्चे की इम्यूनिटी बेहतर रहे, उन्हें इसके लिए तैयारी गर्भधारण के वक्त से ही शुरू कर देनी चाहिए। गर्भावस्था में स्मोकिंग, शराब, स्ट्रेस से पूरी तरह दूर रहें। पौष्टिक खाना लें। गर्भवती महिलाएं अच्छा संगीत सुनें और अच्छी किताबें पढ़ें।
चिकित्सा पद्धतियां ऐसे करतीं हैं काम...
1. आयुर्वेद : आयुर्वेद में रसायन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बेहद मददगार होते हैं। रसायन का मतलब केमिकल नहीं है। कोई ऐसा प्रॉडक्ट जो एंटिऑक्सिडेंट हो, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला हो और स्ट्रेस को कम करता हो, रसायन कहलाता है। मसलन त्रिफला, ब्रह्मा रसायन आदि, लेकिन च्यवनप्राश को आयुर्वेद में सबसे बढि़या रसायन माना गया है। इसे बनाने में मुख्य रूप से ताजा आंवले का इस्तेमाल होता है।
इसमें अश्वगंधा, शतावरी, गिलोय समेत कुल 40 जड़ी बूटियां डाली जाती हैं। अलग-अलग देखें तो आंवला, अश्वगंधा, शतावरी और गिलोय का रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में जबर्दस्त योगदान है। मेडिकल साइंस कहता है कि शरीर में अगर आईजीई का लेवल कम हो तो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। देखा गया है कि च्यवनप्राश खाने से शरीर में आईजीई का लेवल कम होता है।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में यह हैं खास - हल्दी, अश्वगंधा, आंवला, शिलाजीत, मुलहठी, तुलसी, लहसुन, गिलोय।
2. नैचरोपैथी : नैचरोपैथी के मुताबिक बुखार, खांसी और जुकाम जैसे रोगों को शरीर से टॉक्सिंस बाहर निकालने का मेकनिजम माना जाता है।
नैचरोपैथी में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए अच्छी डाइट और लाइफस्टाइल को सुधारने के अलावा शरीर को डीटॉक्स भी किया जाता है। शरीर को डीटॉक्स करने के लिए खूब पानी पिएं। हाइड्रेशन के अलावा यह शरीर पर हमला करने वाले माइक्रो ऑर्गैनिजम को बाहर निकालने का काम भी करता है।
3. योग और एक्सरसाइज : शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करने में यौगिक क्रियाएं बेहद फायदेमंद हैं। किसी योगाचार्य से सीखकर इन क्रियाओं को इसी क्रम में करना चाहिए : कपालभांति, अग्निसार क्रिया, सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, उत्तानपादासान, कटिचक्रासन, सेतुबंधासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, नौकासन, मंडूकासन, अनुलोम विलोम प्राणायाम, उज्जायी प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, भ्रामरी और ध्यान।
एक्सरसाइज : एक्सरसाइज करने से शरीर के ब्लड सर्कुलेशन में बढ़ोतरी होती है, मसल्स टोन होती हैं, कार्डिएक फंक्शन बेहतर होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। शरीर से जहरीले पदार्थ निकालने में भी एक्सर्साइज मदद करती है। दरअसल, एक्सर्साइज के दौरान हम गहरी, लंबी और तेज सांसें लेते हैं। ऐसा करने से जहरीले पदार्थ फेफड़ों से बाहर निकलते हैं। दूसरे एक्सर्साइज के दौरान हमें पसीना भी आता है।
पसीने के जरिये भी शरीर से गंदे पदार्थ बाहर निकलते हैं। एक स्टडी के मुताबिक अगर रोजाना सुबह 45 मिनट तेज चाल से टहला जाए तो सांस से संबंधित बीमारियां दूर होती हैं और बार-बार बीमारी होने की आशंका को आधा किया जा सकता है।
4. होम्योपैथी : होम्योपैथी में वाइटल फोर्स का सिद्धांत काम करता है। इम्युनिटी को बढ़ाना ही होम्योपैथी का आधार है। पूरी जिंदगी को वाइटल फोर्स ही कंट्रोल करता है। यही है जो जिंदगी को आगे बढ़ाता है। अगर शरीर की वाइटल फोर्स डिस्टर्ब है तो शरीर में बीमारियां बढ़ने लगेंगी। होम्योपैथी में मरीज को ऐसी दवा दी जाती है, जो उसकी वाइटल फोर्स को सही स्थिति में ला दे। वाइटल फोर्स ही बीमारी को खत्म करता है और इसी में शरीर की इम्यूनिटी होती है। दवा देकर वाइटल फोर्स की पावर बढ़ा दी जाती है, जिससे वह बीमारी से लड़ती है और उसे खत्म कर देती है। होम्योपैथी में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आमतौर पर इन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
5. एलोपैथी : जानकारों के मुताबिक एलोपैथी में शरीर की जीवनी शक्ति बढ़ाने को लेकर कोई खास दवा नहीं दी जाती है। अलोपथी में माना जाता है कि किसी शख्स की जीवनी शक्ति दो वजह से कम हो सकती है।
पहली जनेटिकली मसलन अगर किसी शख्स के माता-पिता की जीवनी शक्ति कमजोर है या उनमें बीमारियां होने की टेंडेंसी ज्यादा रही है तो उस शख्स की जीवनी शक्ति भी कम हो सकती है। दूसरी वजह एक्वायर्ड होती है। जैसे अगर किसी को एड्स हो गया है तो उसकी जीवनी शक्ति में कमी आ जाएगी।
इसके अलावा, टीबी और डायबीटीज आदि हो जाने पर भी जीवनी शक्ति कम हो जाती है। कुछ खास किस्म की दवाएं लगातार लेने से भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
एलोपैथी में डॉक्टर बीमारियों का डायग्नोसिस करते हैं और फिर उसका इलाज किया जाता है। एलोपैथी के मुताबिक, सलाह यही है कि आप अपने खानपान का ध्यान रखें, विटामिंस से भरपूर खाना लें और वैक्सीन जरूर लगवाएं। एलोपैथी में वैक्सीन पर ज्यादा जोर होता है। अगर कोई शख्स नॉर्मल है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक भी है तो भी उसे अपना टीकाकरण पूरा कराना चाहिए। इससे तमाम बीमारियों से बचने में म
दद मिलती है।
Published on:
12 Jun 2018 09:27 am
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