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Rakshabandhan 2023: इस बार भाई-बहन के बीच चर्चा ‘कब बांधी जाएगी राखी?’, जानें क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य

तो अगर आपके मन में भी यही सवाल है, तो इस खबर को जरूर पढ़ लें। इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि आप किस समय अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं...जानें राखी बांधने का सही समय या मुहूर्त...

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भद्रा के साये ने इस बार रक्षाबंधन का पर्व कुछ फीका कर दिया। बहनें परेशान हो रही हैं कि आखिर कब वे भाई की कलाई पर अपनी पसंद की सुंदर राखी सजाएंगी। ऐसे में बहनें अब भाइयों से पूछ रही हैं कि आखिर कब राखी बांधी जाएगी। तो अगर आपके मन में भी यही सवाल है, तो इस खबर को जरूर पढ़ लें। इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि आप किस समय अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं...जानें राखी बांधने का सही समय या मुहूर्त...

शहर भर में राखी के बाजार सजे हैं, बहनें अपने भाइयों को बांधने के लिए सुंदर-सुंदर राखियां खरीद रही हैं। लेकिन राखी के दिन भद्रा ने उनकी चिंता बढ़ा रखी है। आपको बता दें कि इस बार रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को पड़ रहा है। ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी का कहना है कि सावन के महीने में पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त से शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगी। इसीलिए लोग असमंजस में हैं कि रक्षाबंधन कब मनाएं।

जानें कब बांधें राखी

आपको बता दें कि रक्षाबंधन का पर्व सावन की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 30 अगस्त बुधवार को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी और 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर संपन्न होगी। गुरुवार को पूर्णिमा त्रि-मुहूर्त व्यापिनी से कम है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार जिस दिन तिथि त्रिमुहूर्त (एक मुहूर्त यानी 48 मिनट) से कम हो उस दिन तिथि मान्य नहीं होती। इसके चलते 30 अगस्त को ही रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। वहीं इस दिन भद्रा पूर्णिमा तिथि के साथ शुरू होकर 30 अगस्त को रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगी।

ये है राखी बांधने का सही समय

ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी का कहना है कि शास्त्रों में यह बात स्पष्ट है कि रक्षाबंधन और फाल्गुनी अर्थात होलिका दहन भद्रा में वर्जित है। क्योंकि भद्रा में किए गए कार्य का शुभ फल नहीं मिलता। वहीं अगर कोई शुभ कार्य किया भी तो अशुभ फल का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में यदि अति आवश्यक हो तो भद्रा के मुख छोड़कर भद्रा के पुच्छकाल यानी शाम 5 बजकर 30 मिनट से शाम 6 बजकर 31 मिनट तक रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है। हालांकि एक अभिजित काल में दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर रक्षासूत्र भगवान को अर्पित कर राखी बांधी जा सकती है। संशय के बीच राखी बांधने के लिए श्रेष्ठ समय भद्रा के बाद रात 9 बजकर 3 मिनट से रात 12 बजकर 28 तक ही रहेगा।