उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए बीजेपी इतना किया है कि देश के लोकतांत्रिक इतिहास में किसी ने भी नहीं किया। आदिवासी समाज के 32 सांसद लोकसभा में हैं और चार राज्य सभा में हैं। यही नहीं असम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री आदिवासी समुदाय के हैं। यही नहीं आदिवासी कल्याण मंत्रालय भी अटलजी की सरकार के कार्यकाल में गठित किया गया था।
दानामाझी का किया जिक्र
उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिम बजट आदिवासी कल्याण योजनाओं और मंत्रालय के लिए 50 हजार करोड़ का प्रावधान किया है। पहले यूपीए सरकार के समय यह रकम 30,700 करोड़ थी। यही नहीं 49 वन उपजों पर सरकार ने समर्थन मूल्य दिया है। दानामाझी प्रकरण भाषण मे उठाकर उन्होंने आदिवासियों को इमोशनल भी बनाने की कोशिश की। यह दानामाझी एंबुलेंस न मिलने के कारण पत्नी के शव कंधे में ही लेकर 60 किमी का रास्ता नापने के लिए बेटी के साथ चल दिया था। यह घटना ओडिशा में आदिवासियों की दुर्दशा का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने 129 योजनाओं के माध्यम से ओडिशा को 5 लाख 13 हजार 255 करोड़ रुपया विकास के लिए दिया है। सरकार इस रकम का हिसाब दे। केंद्र का पैसा गांव स्तर तक नहीं पहुंचा।
क्षेत्र को दे ओडियाभाषी मुख्यमंत्री—शाह
शाह ने कहा कि नवीन पटनायक पर आरोप लगाया कि उन्हें ओडिया नहीं आती। अबकी ओडिशा को ओडियाभाषी मुख्यमंत्री दीजिए। यह उत्कल प्रदेश के सम्मान का प्रश्न है। अमित शाह ने जगन्नाथ रत्न भंडार की चाबी खोने वाला भी उठाया। उन्होंने कहा कि जो सरकार रत्नभंडार की सुरक्षा नहीं कर सकती है, उसे शासन करने का कोई अधिकार नहीं है। सम्मेलन में बीजेपी आदिवासी प्रकोष्ठ के चेयरमैन रामविचार नेताम, केंद्रीय मंत्री जुएल ओरम, धर्मेंद्र प्रधान, महामंत्री रामलाल, अरुण सिंह, बसंत पंडा, केवी सिंहदेव, सौदान सिंह ने भी संबोधित किया।