बोर्ड के अब तक के 11 माह के कार्यकाल का कुछ समय कोरोना के कारण और कुछ समय आपसी टकराव में बीत गया है। लोग अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है। निगम की सेवाओं और व्यवस्थाओं की स्थिति यह है कि न जनता संतुष्ट आ रही है और ना ही पार्षद। बोर्ड गठन के ११ माह बाद भी निगम में कार्य संस्कृति नजर नहीं आ रही है। महापौर-अधिकारियों में आपसी सामंजस्य नजर नहीं आ रहा है। अधिकारी सीट पर मिल नहीं रहे है। प्रशासनिक अधिकारी भी निगम से तबादला करवाते नजर आ रहे है।
जनता ने जिन पार्षदों को वोट देकर निगम में भेजा है वे गुटबंदी में उलझे हुए नजर आ रहे है। सतारूढ पक्ष काम नहीं होने का ठीकरा अधिकारियों और राज्य सरकार पर फोड़ रहा है, वहीं विपक्ष महापौर और सत्तारूढ बोर्ड की विफलता की राग अलाप रहे है। छोटे-छोटे कार्यो के लिए निगम पहुंच रहे लोगों को रोज परेशानी हो रही है। निगम में नियमित रूप से न महापौर मिल रही है और ना ही सक्षम अधिकारी। जनता की सुनवाई तक नहीं हो रही है।
नहीं मिल रही कमेटियां
नगर निगम कमेटियों का मामला अधर में लटका हुआ है। पक्ष-विपक्षी की आपसी खींचतान के चलते आमजन के जो कार्य कमेटियों के माध्यम से होने है, वे नहीं हो पा रहे है। एक निगम में दो-दो प्रकार की कमेटियों का गठन हो चुका है। एक ओर जहां महापौर की ओर से कमेटियो का गठन किया हुआ है वहीं दूसरी ओर डीएलबी ने भी अपनी तरफ से कमेटियां गठित कर रखी है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। जब तक निर्णय नहीं हो जाता है तब तक जनता से जुड़े काम अटके रहेंगे।
सडक़ों पर घूम रहे बेसहारा पशु
महापौर ने पदभार ग्रहण करने के बाद सडक़ों पर घूम रहे बेसहारा पशुओं को पकडऩे और शहर की जनता को इस समस्या से निजात दिलाने की बात कही थी। आज स्थिति यह है कि निगम की ओर से अनुबंधित फर्म के माध्यम से न बेसहारा पशु पकड़े जा रहे है और ना ही पूगल रोड स्थित गोशाला में रखे जा रहे है। निगम प्रशासन अपनी पूगल रोड स्थित गोशाला में रह रहे पशुओं को दूसरी गोशाला में स्थानांतरित करने और अपनी गोशाला को बंद करने तक की कार्यवाही शुरू कर चुका है।
कब होंगे वादे पूरे
निगम महापौर सुशीला कंवर ने पदभार ग्रहण करने और उसके बाद समय-समय पर शहर की जनता से कई वादे किए। इनमें निगम की आय बढ़ाना, सभी 80 वार्डो के लिए घर घर कचरा संग्रहण के लिए ऑटो टिपर की खरीद, कचरे के निस्तारण के लिए सभी वार्डो में एक-एक ट्रेक्टर ट्रॉली की व्यवस्था, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पिंक ऑटो सर्विस, गोगागेट डम्पिंग यार्ड से कचरे का निस्तारण आदि शामिल है। बोर्ड शहर में लगातार हो रहे अवैध निर्माण और बिना अनुमति निर्माण पर भी अंकुश नहीं लगा पाया है। बिना अनुमति चल रहे शादी-विवाह भवनों के विरुद्ध कार्यवाही भी नहीं हो पाई है। मकान-भवन निर्माण की दर्जनों फाइले निगम में धूल फांक रही है। सफाई कर्मचारियों से उनके मूल पद के अनुसार सफाई कार्य करवाने की व्यवस्था अब तक पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है। निगम कर्मचारियों को अभी भी हर महीने की पहलीी तारीख को तनख्वाह तक नहीं मिल पा रही है।