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बीकानेर ऊष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर में 'गांधी, तकनीकी विज्ञान एवं विकास' विषयक राजभाषा कार्यशाला में सोमवार को डॉ. नंद किशोर आचार्य ने मशीनीकरण और अधिक उत्पादन से उत्पन्न रोजगारविहीन समस्या की ओर प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने गांधी की विचारधारा को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हो रहे तकनीकी/औद्योगिक विकास से जोड़ते हुए कहा कि आर्थिक क्षेत्र में सही मायने में विकास तय करने के लिए अमीर और गरीब के बीच के अंतर को कम करना होगा। गांधी एक अहिंसक समाज की कल्पना करते थे जहां कहीं भी किसी का शोषण न हो। आप जो कुछ भी करना चाहते हैं वह अहिंसक प्रक्रिया में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी विचारक/व्यक्ति की प्रासंगिकता क्या है। यह जानने से पहले समस्या को जानना जरूरी है। समस्या सुलझने वाली है तो वह प्रासंगिक है अन्यथा अप्रासंगिक। मानव अपनी स्व: इच्छाओं की संतुष्टि करने वाला होने के कारण रूग्ण होता चला जा रहा है। अत: मानव को स्व: केन्द्रित न होकर जीवन केन्द्रित होना चाहिए।्र निदेशक डॉ.एन.वी.पाटिल ने कहा कि 60 वर्षों में तकनीकी स्वरूप व विकास की प्रगति का आकलन किया जाना चाहिए। हमें गांधी दर्शन को ध्यान में रखते हुए ऐसे समाज की रचना करनी है जो हिंसक प्रवृत्तियों को दूर रखकर सच्चे अर्थों में उत्पादन को बढ़ाएं। डॉ.सुमन्त व्यास ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
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