प्रदेश की विभिन्न जेलों में कई तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं। अब तक जेल उत्पादों को अभी तक राज्य सरकार के विभिन्न विभाग एवं स्थानीय विक्रेताओं की ओर से जेल से खरीद किए जाते थे लेकिन अब प्रदेश ही नहीं देशभर के लोग ई-बाजार के माध्यम से ऑनलाइन खरीद सकेंगे। कारागार महानिदेशक गोविंद गुप्ता की दूरदर्शी सोच के कारण यह संभव हो पाया है। साथ ही बीकानेर कारागार अधीक्षक सुमन मालीवाल, हनुमानगढ़ जिला कारागार के अधीक्षक योगेश तेजी, कोटा केन्द्रीय कारागार के वरिष्ठ सहायक भरत राठौड़ ने प्रयास किए। इनके प्रयासों को बीकानेर जेल कमेटी के कारापाल सूरज नारायण, उप कारापाल देवांक शर्मा, एकाउंटेंट राजेन्द्र पालीवाल का सहयोग रहा।
सरकार देती मजदूरी
जेल में कार्य करने वाले बंदियों को सरकार मजदूरी देती है। काम के बदले मिलने वाली मजदूरी की 75 प्रतिशत राशि बंदियों के परिजनों को दी जाती है, शेष 25 प्रतिशत पीडि़त पक्ष को दी जाती है, जिसके विरुद्ध अपराध किया था। जेल उत्पादों की बिक्री बढ़ने से कारागार विभाग की ओर से रोजगारोन्मुख, कौशल विकास के कार्य को गति मिलेगी। बंदियों को मजदूरी मिलने से जेल में निरुद्ध बंदी समाज की मुख्य धारा में शामिल होंगे, उनके सकारात्मक मार्ग पपर चलने की प्रवृति में वृदि्ध होगी।
यह सामान रहेगा उपलब्ध
जेल में बंदियों की ओर से हाथ से बनाए गए मॉर्डन आर्ट पेंटिंग की विस्तृत रेंज, ट्रेडिशनल परंपरागत हस्त निर्मित सूत से बनी चौकियां (मुड्डा), पूजा आसन आदि उपलब्ध है। बीकानेर केन्द्रीय कारागार के उत्पादक अब ebazaar.rajasthangov.in साइट पर उपलब्ध है।
जेल के उत्पाद ऑनलाइन
प्रदेश में बीकानेर जेल पहली ऐसी जेल बन गई है, जिसका राज्य सरकार के ई-बाजार पोर्टल पर पंजीकरण किया गया है। अब बीकानेर जेल में बनने वाले उत्पादों को ऑनलाइन खरीद किया जा सकेगा। इससे बंदियों के कौशल विकास के साथ-साथ उनकी आय में भी वृदि्ध होगी। ई-बाजार पोर्टल पर रजिस्टर्ड होते ही कारागार महानिदेशक ने पहला ऑर्डर भी कर दिया है।
हर हाथ को काम देने की मंशा आने वाले समय में अंडर ट्रायल मामलों में जेलों में बंद कैदियों को भी हर हाथ को काम के तहत काम देने की मंशा है, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कैदी स्किल सिखकर भी कैदी कमा सकते हैं। प्रदर्शनी में कैदियों की ओर से कारगार में निर्मित उत्पाद बाजार से कम कीमतों और बेहतर क्वालटी के उत्पादों की बिक्री की जा रही है। प्रदेश की जेलों में हजारों बंदी है। किसी जेल में फर्नीचर तो कोई बेकरी, ऊनी, सूती कपड़े, मिर्च-मसाले, हैंडीक्राफ्ट के उत्पाद आदि बना रहे हैं। अब इन उत्पादों को सही दाम मिल सकेंगे।
गोविंद गुप्ता, महानिदेशक कारागार जयपुर