कच्ची बस्ती नियमन – न सर्वे न क्षेत्र निर्धारित
नगर निगम अधिकार क्षेत्र में 30 कच्ची बस्तियां है। निगम के पास इन कच्ची बस्तियों का न उचित सर्वे रिपोर्ट है और न ही कच्ची बस्तियों का क्षेत्र निर्धारित है। बताया जा रहा है कि कच्ची बस्तियों का पूरा बेस मैप भी नहीं है। बस्ती में कितने मकान हैं, कहां से कहां तक कच्ची बस्ती है और कितन विकास हुआ है और मूलभूत सुविधाओं को लेकर सम्पूर्ण रिपोर्ट भी नहीं है। एेसे में इन कच्ची बस्तियों में पट्टे जारी करने में समस्या आ सकती है। कई बस्तियां पूर्ण विकसित हो चुकी हैं। बिजली, पानी, सीवरेज सहित सभी मूलभूत सुविधाएं है। डिनोटिफिकेशन की प्रक्रिया भी नहीं हुई है। एम्पावर्ड कमेटी में प्रकरण रखकर ही कच्ची बस्ती को डिनोटिफाइड किया जा सकता है। कमेटी सदस्य भी अब तक निर्धारित नहीं है।
69-क पट्टे – शुल्क पर असमंजस
प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान इस बार ६९-क के तहत रियासतकालीन समय के राजा की ओर से जारी किए गए पट्टे एवं रजिस्ट्रियों के आधार पर पट्टे जारी किए जाने है। यह पट्टे नगर निगम अधिकार क्षेत्र में है। बताया जा रहा है कि इन पट्टों को जारी करने के लिए जोनल प्लान की जरूरत नहीं है। इन पट्टों को लेकर भी जमा होने वाल शुल्क पर अब तक असमंजस है। संबंधित अधिकारियों के अनुसार इस बार 69 – क के पट्टे जारी किए जाने के लिए ली जाने वाली राशि की स्पष्ट गाइडलाइन अब आनी है। कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों व क्षेत्रों में भी जोनल प्लान बनने पर ही पट्टे जारी हो सकते हैं।
ये पट्टे होने हैं जारी
नगर निगम और नगर विकास न्यास की ओर से प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान आबादी भूमि नियमन (कब्जा नियमन), स्टेट ग्रांट एक्ट, 69 – क, कच्ची बस्ती नियमन, कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियां व बस्तियों में विभिन्न प्रकार के पट्टे जारी किए जाने हैं। इस बार ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया निर्धारित की हुई है।