6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Punjab Assembly Elections 2022 कैप्टन पटियाला तक सिमटे, कांग्रेस के वोट बंटने से बनी आप की हवा

Punjab Assembly Elections News: कांग्रेस छोड़ नई पार्टी बनाने से अमरिंदर सिंह को पहली बार आ रहा जोर, पटियाला क्षेत्र कैप्टन का गढ़ माना जाता है। उनके बलबूते कांग्रेस यहां साल २००२ से २०१२ तक हुए तीन विधानसभा चुनाव में पांच-पांच सीट हासिल करती रही। पिछले चुनाव २०१७ में आम आदमी पार्टी के चुनाव मैदान में उतरने के बावजूद कैप्टन का जादू चला और सात सीटें जीत ली। परन्तु अब पंजे का साथ छोड़कर अलग राह पकने वाले कैप्टन की राह आसान नहीं दिखती।

3 min read
Google source verification
punjab assembly elections patiyala

Punjab Assembly Elections 2022 कैप्टन पटियाला तक सिमटे, कांग्रेस के वोट बंटने से बनी आप की हवा

दिनेश कुमार स्वामी

पटियाला. पंजाब के बीते दो दशक में हुए चार विधानसभा चुनावी इतिहास में यह पहला मौका है जब पटियाला हलके की आठ सीटों पर बदलाव की बयार नजर आ रही है। इस बार का चुनाव कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए राजनीतिक भविष्य को तय करेगा। पटियाला क्षेत्र कैप्टन का गढ़ माना जाता है। उनके बलबूते कांग्रेस यहां साल 2002 से 2012 तक हुए तीन विधानसभा चुनाव में पांच-पांच सीट हासिल करती रही। पिछले चुनाव 2017 में आम आदमी पार्टी के चुनाव मैदान में उतरने के बावजूद कैप्टन का जादू चला और सात सीटें जीत ली। परन्तु अब पंजे का साथ छोड़कर अलग राह पकने वाले कैप्टन की राह आसान नहीं दिखती। पटियाली शहरी सीट पर जरूर कैप्टन का जादू दिखता है। शेष ग्रामीण पटियाला सहित जिले की सात सीटों पर आम आदमी पार्टी की हवा और अकाली दल की उपस्थिति भी दिखती है। कैप्टन के बूते कांग्रेस का तो यह गढ़ बना है।

भाजपा और कैप्टन की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। शहरी सीट पर कैप्टन को प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे और भाजपा के वोटरों का सहारा लेना पड़ रहा है। शहर में हर चौक-चौराहे पर मोदी के होर्डिंग लगे है। कभी पूरे पंजाब में कांग्रेस के लिए प्रचार करने और अपने हलके में बिना लोगों के बीच जाए सीटें जीतने का दम रखने वाले कैप्टन की पटियाला क्षेत्र में रोजाना दो-तीन रैलियां और लोगों के बीच जाना बता रहा है कि उन्हें अपनी सियासी जमीन खिसने का डर सता रहा है। अब तो कैप्टन की पुत्री जयइन्दर कौर ने भी चुनावी प्रचार की कमान संभाल ली है।

अंतिम तीन दिनों पर दारोमदार

पटियाला के बाशिंदों से बातचीत में पता चला कि यहां पहले अकाली दल और आम आदमी पार्टी की हवा बनती रही है। परन्तु पिछले चार चुनाव में अंतिम तीन दिन में कैप्टन मैदान में उतरते है और ताबड़तोड़ प्रचार से वोटरों को लुभाने में कामयाब हो जाते है। इस बार कैप्टन को सबसे ज्यादा परेशानी अपनी नई पार्टी के सिम्बल को घरों तक पहुंचाने की है। उनका परम्परागत वोट पीएलसी और कांग्रेस में बंटेगा। इसकी भरपाई के लिए कैप्टन भाजपा-अकाली गठबंधन के टूटने से भाजपा की तरफ आने वाले वोटों से भरपाई करने के प्रयास में है।

शहर में पाक विस्थापितों का प्रभाव

विभाजन के दौरान बहावलपुर समेत वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर पटियाला आकर बसे। शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी पाक हिन्दुओं की बड़ी तादाद है। शहर सीट पर कैप्टन के साथ रहे हिन्दू, दलित, भापा वोट में सेंध लगने की आशका है। यह अकाली दल, आप में बंटते नजर आ रहे है। कांग्रेस के प्रत्याशी विष्णु शर्मा ब्राह्मण वोटों में सेंध लगा रहे है। पटियाला ग्रामीण सीट पर बहावलपुरी, अग्रवाल और ब्राह्मण वोटरों का दबदबा है। यहां कांग्रेस के मोहित मोहिंदर को पीएलसी के संजीव शर्मा, आप के डॉ. बलवीर सिंह और अकाली प्रत्याशी जसपाल सिंह मुकाबला कर रहे है।

युवाओं की बदल रही सोच

पटियाला में बैंक में नौकरी कर रहे युवा नवजोत सिंह कहते है कि युवाओं की सोच बदल रही है। इसी वजह से आम आदमी पार्टी को समर्थन मिल रहा है। अकाली दल और कांग्रेस को देख चुके है। उनके लिए नशा और रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। युवा एडवोकेट परविन्द्र सिंह कहते है कि कैप्टन का पटियाला की सभी आठ सीट पर दबदबा रहा है। उन्होंने वीवीआइपी कल्चर को चलाया। इसी वजह से लोग अब उनसे कुछ उखड़े-उखड़े हुए है। शहर सीट को छोड़कर शेष पर कैप्टन की पीएलसी, आप, कांग्रेस और अकाली मुकाबले मेें है। व्यापारी अमरदीप भाटिया मानते है कि शहर में कैप्टन की टक्कर कोई नहीं। हवा झाडू यानि आप की बनी हुई है। विजय कुमार कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोडऩे को सही मानते है। पटियाला की सभी सीटों पर मुकाबला कैप्टन के साथ ही रहेगा, जीते भले कोई भी पार्टी।

पटियाला कल और आज

पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में पटियाला की सनौर सीट अकालीदल व भाजपा गठबंधन ने जीती। इस बार आप के हरमीत सिंह से पीएलसी, कांग्रेस और शिअद में मुकाबला है। शेष पटियाला शहर, ग्रामीण, समाना, राजपुरा, शुतराणा, नाभा और घनौर सीट पर पिछली बार कांग्रेस जीती थी। इस बार राजपुरा से भाजपा के जगदीश जग्गा मजबूती से डटे है। सिटी में अमरिंदर सिंह और ग्रामीण में कांग्रेस के मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा के पुत्र मोहित का अन्य से मुकाबला है। शेष चार सीटों पर आप से कांग्रेस और भाजपा गठबंधन मुकाबले में है। पटियाला निवासी आइएस बिन्द्रा अभी भी अकालीदल को कम आंकने को आप और कांग्रेस की भूल मान रहे है। वह कहते है कि अकाली दल के वोट कट्टर है। जो प्रत्याशियों को मजबूत कर रहे है। मायावती की रैलियां होने पर एससी के वोट भी चन्नी से टूटेंगे। पास के तरणतारण जिले की चारों सीटों का उदाहरण देते है कि वहां पर अकालीदल सबसे ज्यादा मजबूत है।