
cow vs buffalo
राजस्थान हालांकि देश में सबसे अधिक गोधन वाला प्रदेश है फिर भी इन वर्षों में कुल दूध उत्पादन में गाय की तुलना में भैंस का दूध अधिक है।
पशु पालकों का भैंस पालन के प्रति रुझान बढ़ रहा है। वर्तमान में प्रदेश में भैसों की तादाद गायों के बराबर है। राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान वि.वि. के पशु विविधिकरण सजीव मॉडल केन्द्र में गुरुवार को ग्रीष्म काल में भैंस का रख-रखाव एवं वैज्ञानिक प्रबंधन पर भैंस पालकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने यह बात कही।
कुलपति ने कहा कि सूरती और मुर्रा नस्ल की भैंसों का राज्य में विशिष्ट स्थान और योगदान है। पश्चिमी राजस्थान में अधिक गर्मी और पानी की कमी के चलते इस परियोजना के तहत भैंस पालन में फोगर से भैसों को गर्मी से बचाने का प्रदर्शन पशु-पालकों को दिखाया।
खुद कुलपति ने फोगर के सुक्ष्म फव्वारा से भैंसों को गर्मी से राहत देने की विधि देखी। कुलपति ने प्रशिक्षण प्रभारी और मुख्य अन्वेषक प्रो. बसन्त बैस से कहा कि इस तरह से भैंस को ठंडा वातारण देने में कितना लीटर पानी खर्च होता है तथा कितनी बिजली जलती है। इसका आकलन कर रिपोर्ट बनाए।
उन्होंने कहा कि श्रीगंगानगर -हनुमानगढ़ में भैसों को गर्मी से राहत देने के लिए हर गांव में जोहड़ है। बीकानेर गांवों में पानी नहीं होने से इस विधि से भैसों को गर्मी से बचाया जा सकता है। इससे भैंसों में गर्मी के मौसम में प्रजनन और दुग्ध उत्पादन के स्तर बना रहको बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण और तौर-तरीकों की जानकारी होना जरूरी है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूडिय़ा ने कहा कि प्रशिक्षण में विश्वविद्यालय का भ्रमण करें, रेडियो पर धींणे री बांत्यां सुनें तथा "पशुपालन नए आयाम" पत्रिका पढऩे से पशुपालकों को बहुत सी तकनीकी और शिक्षणप्रद उपयोगी जानकारी प्राप्त हो सकती है।
प्रशिक्षण प्रभारी और मुख्य अन्वेषक प्रो. बसन्त बैस ने बताया कि प्रशिक्षण में भैंस पालन और प्रजनन के विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ प्रो. जे.एस. मेहता, प्रो. आर.एन. कच्छवाहा, डॉ. अशोक खिंचड़ और डॉ. प्रमोद सिंह ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। प्रशिक्षण में भैंसों के आवास में सूक्ष्म फव्वारों (फोगर) की व्यवस्था कर ताप नियंत्रण का डेमो प्रस्तुत किया गया। डॉ. सीएस. ढाका, डॉ. अजय देवना और डॉ. अनिल लिम्बा ने सहयोग किया। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण का कार्यक्रम में भामटसर और जाखासर गांव के 50 पशुपालक-कृषकों ने भाग लिया।
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