
CG News: तकनीक के इस युग में पढ़ाई का तरीका भी तेजी से बदल रहा है। अब किताबों और गाइड्स की जगह छात्रों का भरोसा स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप पर बढ़ता जा रहा है। विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और चैटजीपीटी जैसे प्लेटफॉर्म युवाओं के अध्ययन में नए साथी बनकर उभरे हैं। व्यापम, पीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र अब पारंपरिक किताबों के बजाय एआई की मदद से प्रश्नों के उत्तर, नोट्स और स्टडी मैटेरियल तैयार कर रहे हैं।
शहर के कोचिंग संस्थानों और स्टडी सेंटर्स में यह ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। छात्र अपने स्मार्ट डिवाइसेज़ के जरिए चैटबॉट्स से प्रश्न पूछते हैं, उत्तर प्राप्त करते हैं और उन्हें अपनी समझ के अनुसार नोट्स में बदल लेते हैं। छात्रों का मानना है कि एआई उन्हें तत्काल जानकारी देता है। किसी भी विषय पर संक्षिप्त और बिंदुवार उत्तर मिलने से समय की बचत होती है। इस प्लेटफार्म से मॉडल उत्तर प्राप्त करना भी आसान हो गया है।
पुस्तक विक्रेताओं और पुस्तकालय संचालकों के अनुसार, पिछले 4-5 वर्षों में गाइड, रेफरेंस बुक्स और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित किताबों की मांग में गिरावट आई है। जहां पहले इनकी मांग 75 से 80 प्रतिशत तक होती थी, वहीं अब यह घटकर 65 से 70 प्रतिशत रह गई है। यही नहीं, नोट्स बनाने और लाइब्रेरी जाकर पढ़ाई करने की प्रवृत्ति में भी 15 से 20 प्रतिशत की कमी देखी गई है।
स्मार्टफोन, लैपटॉप या पीसी चलाना आसान और सुलभ है।
24 घंटे ऑनलाइन लर्निंग और टीचिंग प्लेटफॉर्म्स उपलब्ध हैं।
पढ़ाई के दौरान किसी भी कठिनाई पर तुरंत समाधान मिल जाता है।
एआई सवाल को समझकर उसका स्पष्ट और सरल उत्तर देता है।
नोट्स बनाना और स्टडी मटेरियल तैयार करना बेहद आसान।
केवल डाटा का खर्च, समय और पैसे की होती है बचत।
हर विषय पर गहराई से जानकारी एक ही जगह उपलब्ध।
मॉडल आंसर, प्रैक्टिस सेट और क्विज़ से बेहतर तैयारी।
कभी भी, कहीं भी पढ़ाई की सुविधा, मोबाइल ही बना क्लासरूम।
एआई और चैटजीपीटी जैसे टूल्स का उपयोग अब पढ़ाई में तेजी से बढ़ रहा है। विद्यार्थी इन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से अपने सवालों का समाधान खोज रहे हैं। यह तकनीक समय की मांग है, लेकिन छात्रों को पूरी तरह से इस पर निर्भर नहीं होना चाहिए। किताबों, गाइड और रेफरेंस बुक्स की उपयोगिता आज भी बनी हुई है और आगे भी रहेगी। टेक्नोलॉजी सहायक हो सकती है, लेकिन मूल ज्ञान का आधार हमेशा पुस्तकें ही रहेंगी। - डॉ. प्रमोद शर्मा, लाइब्रेरियन, डीपी लॉ कॉलेज
Published on:
18 Apr 2025 01:02 pm
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