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सिम्स में आईएएस स्तर का ओएसडी नियुक्त करें, दो सप्ताह तक करेें हालत सुधारने काम

CG News: कोर्ट ने निर्देश दिए कि ओएसडी दो सप्ताह तक सिम्स में ही रहेंगे और वहां की कमियों को दूर करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेंगे।

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सिम्स में आईएएस स्तर का ओएसडी नियुक्त करें, दो सप्ताह तक करेें हालत सुधारने काम

सिम्स में आईएएस स्तर का ओएसडी नियुक्त करें, दो सप्ताह तक करेें हालत सुधारने काम

बिलासपुर। CG News: छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) की अव्यवस्था पर हाईकोर्ट ने यहां व्यवस्था सुधारने तत्काल प्रभाव से आईएएस स्तर का ओएसडी नियुक्त करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कहा कि मरीज की जिंदगी बचाना हमारी प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए। दूसरे काम तो बहुत होते रहते हैं लेकिन यह काम सर्वाधिक जरूरी है। कोर्ट ने राज्य शासन के विधि अधिकारी से कहा कि मुख्य सचिव से चर्चा करें और जितनी जल्दी हो मेडिकल कॉलेज अस्पताल की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए।

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कोर्ट ने निर्देश दिए कि ओएसडी दो सप्ताह तक सिम्स में ही रहेंगे और वहां की कमियों को दूर करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेंगे।

हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त तीन कोर्ट कमिश्नर ने बुधवार को कुल 66 पन्नों की निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें कहा गया है कि सिम्स की पूरी बिल्डिंग ही कमजोर हो गई है और इसकी तत्काल मरम्मत की जरूरत है। डॉक्टर और स्पेशलिस्ट की कमी बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि सिम्स के डॉक्टर और स्पेशलिस्ट, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम करते हुए मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने में व्यस्त हैं। डॉक्टरों ने खुद शिकायत की है कि टेक्निकल स्टाफ भी प्रशिक्षित नहीं है और कई तो उपकरण चलाना नहीं जानते । नर्सों की भी कमी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि दो सप्ताह बाद फिर से व्यवस्था का निरीक्षण किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।

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शासन व कोर्ट ने प्रस्तुत की अपनी-अपनी रिपोर्ट
बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एनके चंद्रवंशी के डिवीजन बेंच में जनहित याचिका की सुनवाई हुई। कोर्ट कमिश्नर सूर्या कवलकर डांगी, संघर्ष पांडे और अपूर्व त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें सिम्स परिसर सहित विभागों में गंदगी की जानकारी दी गई। शासन की ओर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य की रिपोर्ट में मैन पॉवर की कमी बताई गई है।

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इन मुद्दों पर रिपोर्ट

कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी पूरी रिपोर्ट तीन प्रमुख मुद्दों पर पेश की है। इसमें मूलभूत सुविधाएं, हाइजीन, सैनिटेशन, मरीजों की सुविधा, दूसरा मुद्दा मैनपॉवर, स्पेशलिस्ट डॉक्टर की कमी और वार्ड बॉय की कमी है। तीसरा प्रमुख मुद्दा मेडिकल उपकरणों की कमी और उनकी बदहाली को लेकर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजाना 1174 मैरिज यहां अपनी समस्या लेकर पहुंचते हैं जिसमें से 135 लोगों को भर्ती करना पड़ता है। फिलहाल 673 बेड फुल हैं।

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करोड़ों का भुगतान, पर हर जगह गंदगी

रिपोर्ट में कहा गया है कि वेटिंग हॉल में चेयर की कमी है इसलिए मरीज और परिजनों को सीढ़ियों पर बैठना पड़ता है। यहां सिर्फ दो वाटर कूलर है । वाटर कूलर के आसपास भी भारी गन्दगी है। रेडियोलॉजी विभाग का वाटर कूलर काम नहीं कर रहा है। सैनिटेशन की स्थिति पर भी रिपोर्ट में टिप्पणी की गई है। रेडियोलॉजी विभाग में जहां मेजर ऑपरेशन थिएटर है वहां सफाई नहीं है। हर दीवार में तंबाकू की पीक दिखाई दे रही है। रिपोर्ट में सफाई की व्यवस्था संभालने वाली बुंदेला सिक्योरिटी एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के कामकाज पर भी सवाल उठाए गए हैं। बताया गया है कि सालाना दो करोड़ 20 लाख रुपए अस्पताल के लिए और 2 करोड़ रुपए मेडिकल कॉलेज की सफाई के लिए खर्च होने के बावजूद भी गंदगी फैली है।

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कार्डियोलॉजिस्ट नहीं, सोनोग्राफी के लिए 10 दिन की वेटिंग
रिपोर्ट में कहा गया है कि सिम्स में कोई भी कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है। इसके लिए विभाग भी नहीं है जबकि यहां रोजाना 4 से 5 मरीज हार्ट फेल और हार्ट अटैक से पहुंचते हैं। पैथोलॉजी मशीन आउटडेटेट हो गई है। इसकी 2010 में खरीदी गई थी। जहरखुरानी वाला वार्ड 4 महीने से बन ही रहा है। रिपोर्ट में मेडिकल उपकरणों की कमी भी बताई गई है। रेडियोलॉजी विभाग में 2009 की मशीन है दोनों 10-12 साल पुरानी है। दो नई मशीन खरीदी गई है जो की फिलहाल अभी उपयोग में नहीं लाई जा रही हैं। सिर्फ सोनोग्राफी के लिए ही 10 दिनों की वेटिंग मरीजों को दी जा रही है। न्यू बोर्न बेबी के लिए एक्स-रे तक की व्यवस्था नहीं है।

इन बच्चों को मास्क पहनाकर मुख्य एक्स-रे कमरे में लेकर जाना पड़ता है, जो सं₹मण का कारण बन सकता है।

रिपोर्ट में इन खामियों का उल्लेख
● मेडिकल वेस्ट डिस्पोज की व्यवस्था नहीं।

● हेल्प डेस्क खाली मिला।

● वार्ड में जाने की कोई साइन बोर्ड नहीं है।

● हॉस्पिटल पहुंचनेे और वार्ड में जाने का रास्ता बहुत ही संकरा।

●फायर सेफ्टी की व्यवस्था नहीं, जबकि 2019 में पांच बच्चों की दम घुटने से मौत।

● करीब 40 लाख रुपए खर्च करते हुए 7 वेंटीलेटर खरीदे गए थे लेकिन पिछले 2 साल से इनका उपयोग नहीं हो सका है।

● पुराने लेक्चर हाल को डंप वार्ड बना दिया गया, यहां अनुपयोगी मशीन और फर्नीचर रख दिए।

● इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर में ड्रेनेज और सिपेज की समस्या।

● स्टेरलाइजेशन किट पुराने, वहां सफाई भी नहीं।

● प्रोफेशनल स्वीपिंग मशीन की हालत इतनी खराब।

● पुरुष मरीज महिला वार्ड में और महिला मरीज पुरुष वार्ड में भर्ती किए जा रहे।