
Bilaspur Flight: बिलासा एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग और रक्षा मंत्रालय से वापस ली गई 287 एकड़ जमीन का सीमांकन अटका हुआ है। जमीन वापस लेने के बाद जिला प्रशासन को सीमांकन करना है। नाइट लैंडिंग के लिए डीवीओआर नेविगेशन सिस्टम इंस्टाल किया जाना है। राज्य शासन चाहे तो यह दोनों काम सौ दिन के अंदर ही पूरे हो सकते हैं। इससे एयरपोर्ट का विस्तार होगा और नाइट लैंडिंग शुरू होने से यहां लाइट की संया बढ़ेगी और 4सी एयरपोर्ट के लिए काम शुरू हो सकेगा।
भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में बिलासपुर के लिए जिन प्रमुख कार्यों को शामिल किया है, उनमें एयरपोर्ट में सुविधा विस्तार और नाइट लैंडिंग की सुविधा शामिल है। पत्रिका ने संकल्प पत्र के वादों पर सरकार के ये 100 दिन का रोडमैप तैयार किया है। इसमें यह बताने का प्रयास किया है कि सरकार अगर सत कदम उठाए (Bilaspur Flight) तो एयरपोर्ट की जमीन का सीमांकन और नाइट लैंडिंग कार्य एक माह में ही पूर्ण होकर आगे की सुविधाओं के लिए काम शुरू हो सकता है। बिलासपुर एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग का काम केंद्र और राज्य सरकार के बीच साल भर से अटका हुआ है।
अलायंस एयर द्वारा नया शेड्यूल जारी करने के बाद अब बिलासपुर से दिल्ली, प्रयागराज, जबलपुर, कोलकाता जगदलपुर के लिए लाइट शुरू हो चुकी है। पहली बार जगदलपुर और बिलासपुर के बीच लाइट शुरू हुई है। इसके साथ ही प्रयागराज और जबलपुर की बंद लाइट भी शुरू हो गई है। लेकिन नाइट लैंडिंग और सेना से जमीन लेकर एयरपोर्ट विस्तार का मामला अभी भी पहल के अभाव में अटका है।
कोर्ट के आदेश अनुसार राज्य शासन, एयरपोर्ट अफसरों, राजस्व विभाग और सेना को राज्य के चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बैठक करना है। इसमें डीजीसीए के अधिकारी, केन्द्री उड्डयन विभाग के अधिकारी, छग विमानन विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। सीमांकन के लिए राजस्व विभाग के साथ बैठक होनी है। सभी मिलकर तय करेंगे और अंतिम फैसला लेंगे कि बिलासपुर एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग के लिए डीवीओआर नेविगेशन सिस्टम इंस्टाल किया जाएगा या सैटेलाइट पर आधारित तकनीक का उपयोग होगा।
एयरपोर्ट को 4सी श्रेणी के मापदंड के अनुरूप विकसित करने के लिए जरूरी 287 एकड़ जमीन वापसी की मंजूरी सेना से मिल गई है। सेना के अधिकारियों की मौजूदगी में इसकी नापजोख होनी है। 4 अप्रैल 2024 (Bilaspur Flight) इस जमीन का सीमांकन अधूरा रह गया था। इसके बाद से टीम में शामिल कोई भी अधिकारी सीमांकन करने नहीं पहुंचा। हाईकोर्ट ने इसे 15 दिन में पूरा करने कहा है।
यह मामला हाईकोर्ट तक भी याचिका के माध्यम से पहुंच गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर क्यों केन्द्र सरकार और डीजीसीए के डायरेक्शन के हिसाब से डीवीओआर नेविगेशन सिस्टम इंस्टाल नहीं किया जा रहा है। बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार सैटेलाइट पर आधारित तकनीक का उपयोग करना चाहती है और इसके लिए केन्द्र सरकार के पास आवेदन किया गया है तो केन्द्र और डीजीसीए डीवीओआर तकनीक के पक्षधर हैं।
Updated on:
27 Jun 2024 01:23 pm
Published on:
27 Jun 2024 01:14 pm
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