कर्ण मेरे आदर्श, उनके जीवन से सीखी एकाग्रता कुंती और
सूर्य के पुत्र कर्ण को साक्षी अपना आदर्श मानती हैं। साक्षी के मुताबिक कर्ण एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी एकाग्रता से कभी ध्यानभंग नहीं किया। महाभारत में कर्ण के सिद्धांतवादी होने की बात लिखी गई। वे एक परिपूर्ण योद्धा और कर्म पर केंद्रित जीवन जीने वाले महापुरुष हुए। इसलिए साक्षी उन्हें अपना आदर्श मानती हैं।
साक्षी को भगवान कृष्ण की वाणी देती है एनर्जी डॉक्टर जीवन भागदिकर की बेटी साक्षी अध्यात्मवादी हैं। वे कहती हैं कि आज सीबीएसई में प्रदेश में अव्वल और देश में टॉप-2 की पोजीशन हासिल करने के पीछे मेरी आध्यात्मिक सोच है। मैंने कभी टॉप बनने के लिए नहीं पढ़ा। पढ़ाई मेरा पैशन है। जिज्ञासा के साथ पढ़ती हूं, इसलिए टॉपर बनना मेरी प्राथमिकता में नहीं है। गीता में जो लिखा है उससे मुझे अद्भुत ऊर्जा मिलती है। भगवान श्रीकृष्ण की मैं भक्त हूं और उन्हें ही जीवन का आधार मानती हूं। कृष्णा ने गीता में कहा है कि कर्म करो और फल की इच्छा मत करो। मैंने भी यहां सिर्फ कर्म किया और कर्म ही करती रहूंगी। आज जो कुछ भी मिला वह कर्म का फल है। अगर हम सही दिशा में अपनी एनर्जी लगाएं तो कोई हमें आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता।