बिलासपुर

CG High Court: तलाक का आदेश खारिज, सहमति से एक ही बिल्डिंग में अलग-अलग रहेंगे पति-पत्नी

CG High Court: हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से गवाहों की उपस्थिति में लिखित समझौता हुआ। इस अनुसार दंपती एक ही मकान में रहेंगे। पति नीचे (ग्राउंड फ्लोर) और पत्नी ऊपर (फर्स्ट फ्लोर) में रहेंगी।

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May 15, 2025
बगैर मान्यता वाले स्कूलों में एडमिशन पर रोक (Photo source- Patrika)

CG High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति- पत्नी के बीच हुए समझौते को मान्य कर तलाक का आदेश खारिज कर दिया। समझौते के अनुसार दोनों एक ही घर की अलग-अलग मंजिल में रहेंगे। पति ग्राउंड फ्लोर तो पत्नी फर्स्ट फ्लोर पर रहेगी। दुर्ग जिले के इस मामले में जस्टिस रजनी दुबे, जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने समझौते को वैध मानते हुए फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को निरस्त कर दिया। पति-पत्नी के बीच मतभेद के कारण पति की याचिका पर 9 मई 2024 को फैमिली कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक का आदेश जारी किया था। इस निर्णय के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की।

बिजली बिल व मरम्मत की जिम्मेदारी खुद उठाएंगे

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से गवाहों की उपस्थिति में लिखित समझौता हुआ। इस अनुसार दंपती एक ही मकान में रहेंगे। पति नीचे (ग्राउंड फ्लोर) और पत्नी ऊपर (फर्स्ट फ्लोर) में रहेंगी। घर से जुड़े खर्च जैसे जलकर, बिजली बिल, संपत्ति कर आदि दोनों समान रूप से वहन करेंगे। प्रत्येक को अपने हिस्से की मरम्मत और देखरेख की जिम्मेदारी स्वयं उठानी होगी। इस समझौते को 1 मई को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया।

व्यक्तिगत आय, सामाजिक जीवन में दखल नहीं

दोनों अपनी व्यक्तिगत आय, बैंक खाते और खर्चों के लिए स्वतंत्र होंगे और कोई एक दूसरे की वित्तीय जानकारी में दखल नहीं देगा। घर के निर्माण या संशोधन की स्थिति में एक-दूसरे को 30 दिन पहले सूचना देना अनिवार्य होगा, बशर्ते कोई साझा क्षेत्र प्रभावित न हो। पत्नी को अस्पताल सुविधाओं के लिए जरूरी दस्तावेजी सहायता पति देगा, खर्च वह स्वयं वहन करेंगी। दोनों को स्वतंत्र सामाजिक जीवन और यात्रा की आजादी होगी। कोई भी दूसरे को पारिवारिक या सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं करेगा।

संबंधों की स्वतंत्रता और मर्यादा बनाए रखने की पहल

डिवीजन बेंच ने कहा कि यह समझौता विवाह को कानूनी रूप से समाप्त करने की जगह, संबंधों में स्वतंत्रता और मर्यादा बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई पक्ष समझौते की शर्तों का उल्लंघन करता है, तो संबंधित पक्ष दोबारा न्यायालय का रुख कर सकता है।

Published on:
15 May 2025 07:30 am
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