
हनुमान जयंती 16 अप्रैल को, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
खास बात यह है कि इस दिन शनिवार पडऩे के कारण इसका महत्व और बढ़ गया है क्योंकि मंगलवार और शनिवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित माना गया है।
हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त
इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल को देर रात 02 बजकर 25 मिनट से शुरू होगी और 17 अप्रैल को सुबह 12 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि में व्रत रखने के नियम की वजह से हनुमान जयंती का त्योहार 16 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस साल हनुमान जयंती रवि और हर्षण योग में मनाई जाएगी। इस दिन हस्त और चित्रा नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा, इस दिन सुबह 5.55 मिनट से लेकर 8.40 तक रवि योग भी रहेगा। रवि योग शुभ योगों में गिना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्यों का शुभ फल मिलता है।
हनुमान जयंती की पूजा विधि
व्रत से पहले एक रात को जमीन पर सोने से पहले भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ हनुमान जी का स्मरण करें। अगले दिन प्रात: जल्दी उठकर दोबारा राम-सीता एवं हनुमान जी को याद करें। हनुमान जयंती प्रात: स्नान ध्यान करने के बाद हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें। इसके बाद, पूर्व की ओर भगवान हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें। विनम्र भाव से बजरंगबली की प्रार्थना करें। इसके बाद षोडशोपाचार की विधि विधान से श्री हनुमानजी की आराधना करें।
हनुमान जयंती का महत्व
हनुमान जयंती के अवसर पर मंदिर जाकर हनुमान जी का दर्शन करना चाहिए और उनके सामने घी या तेल का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलने की भी मान्यता है।
॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥
॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
Published on:
10 Apr 2022 10:17 pm
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