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यूट्यूब बनी पुलिस के लिए चुनौती, कम उम्र में सीख रहे अपराध की पढ़ाई

चोरी, हत्या प्रयास, लूट, नशे का सामान तस्करी या फिर हत्या जैसी वारदात को अंजाम देने वालों को पुलिस ने गिरफ्तार किया हैं, उनमें से अधिकांश की उम्र 14 से 17 वर्ष के बीच ही हैं, तो कुछ किशोर अवस्था के अंतिम पड़ाव को पार करने वाले है।

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यूट्यूब बनी पुलिस के लिए चुनौती, कम उम्र में सीख रहे अपराध की पढ़ाई

बिलासपुर. चोरी, हत्या प्रयास, लूट, नशे का सामान तस्करी या फिर हत्या जैसी वारदात को अंजाम देने वालों को पुलिस ने गिरफ्तार किया हैं, उनमें से अधिकांश की उम्र 14 से 17 वर्ष के बीच ही हैं, तो कुछ किशोर अवस्था के अंतिम पड़ाव को पार करने वाले है। पकड़े गए बच्चे या स्लम एरिया के हैं, या फिर स्कूली छात्र हैं, जिन्हें कम समय में अमीर बनाने का सब्जबाग दिखा कर शातिर अपराधी बड़े-बड़े अपराध को अंजाम दिलवा रहे हैं, इसके लिए शातिर अपराधी किशोरो को यूट्यूब में कानून कमिया व बचाव का तरीका सिखा कर अपना उल्लू सीधा कर रहे है। हाल में हत्या व अन्य वारदात को इन्हीं गैंग का हिस्से बने किशोरों ने अंजाम दिया है।

कुछ सालों से प्रतिबंधित नशीली दवाओं का अवैध कारोबार व गुंडागर्दी की दहशत को बनाए रखने के लिए, कुछ लोग सामाजसेवा की आड़ में बड़े-बड़े नेताओं के संरक्षण में समाजसेवा का चोला पहन कर किशोरो को गुमराह कर रहे है। अपने नशे के कारोबार व दहशत को कायम रखने के लिए 14 से 17 वर्ष के किशोरो को अपने साथ मिला कर अपना गैंग संचालित कर रहे है। किशोर उनके काबू में रहे इसके लिए पहले उन्हें नशे का आदि बनाया जाता है। उसके बाद शूरू होता है अपराध की ट्रेनिंग का पहला चैप्टर।

शातिर अपराधी 14 से 17 वर्ष के किशोरों को यूट्यूब के माध्यम से यह समझाते कि वह बच्चें है अगर नशे के सामान की तस्करी या कोई भी अपराधिक वारदात जैसे चाकूबाजी, मारपीट, बलवा या अन्य को अंजाम देंगे तो उन पर कार्रवाई बड़ी कार्रवाई नहीं होगी, क्योंकि कानून या न्यायालय इसे बच्चों द्वारा नादानी या नासमझी में उठाया गया कदम मानकर छोड़ देती है। उसके लिए बच्चों को बकायदा यूट्यूब पर ट्रेनिंग भी दी जा रही है। किशोरों की मानसिकता बदलने के उन्हें नशे का सामान व कुछ रुपए देकर बड़े बड़े वारदात को अंजाम दिया जा रहा है।

हत्या, लूट व चोरी के मामले में पकड़े गए अधिकांश बच्चे नशे के आदि
पुलिस ने कुछ सालों में जिन किशोरो को अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की उनमें से अधिकांश बच्चें नशीली दवाओं के आदि पाए गए है। नशे की लत को पूरा करने के लिए वह शातिर अपराधियों के इंशारे पर नाचने लगते है और उनके हर आदेश को हुक्म समझ कर वारदात को अंजाम देने लगते है।

एक दर्जन चाकूबाजी
यूट्यूब में किशोरो को ट्रेनिंग देने वाले शातिर अपराधी यह भी समझाते है की अगर किसी को डराने के लिए चाकू चलाना पड़े तो वार उनके बम्ब या थाई में करे, क्योंकि दोनों ही जगह वार करने से जान जाने का खतरा बहुत ही कम होता है। पुलिस भी मामले में 307 का अपराध दर्ज नहीं करती है। सिविल लाइन व कुछ थाना क्षेत्रों में इस तरह के करीब आधा दर्जन से अधिक हमलो की शिकायत दर्ज हुई है।

नशीली बिक्री में किशोरो की भूमिका सर्वाधिक
सिविल लाइन पुलिस ने कुछ महिनों पहले सूचना के आधार पर महाराणा प्रताप चौक पर नशीली दवा की सूचना पर पकडऩे पहुंची थी। इस दौरान शातिर अपराधी नशे का सौदागरों ने तीन किशोर को पूरे डील में शामिल कर लिया। पुलिस से वे किशोर ही डीलर बनकर मिलने पहुंचे। एक ने रुपए लिया और कुछ देर में सामान मिलने का भी भरोसा दिया। रुपए देने के बाद एक किशोर नशीली दवा काफी मात्रा में लेकर पहुंचा था। पुलिस ने मामले में चारो बालकों को अभिरक्षा में लेकर किशोर न्यायालय भेजा था।

एडिशनल एसपी उमेश कश्यप ने कहा, कुछ सालों में अपराध की जांच के मामले में पता चला है कि वारदात को अंजाम देने वाले अपचारी बालक हैं। गिरफ्तार हुए अपचारी बालक नशे के भी आदि पाए गए है। चाकूबाजी, नशीली दवा बिक्री या अन्य तरह के अपराध में अपचारी बालक शामिल पाए गए है। पुलिस मामले में अपराध दर्ज कर संबंधित थानों से मामलों की उचित जांच करवा रही है।