आयुर्वेद में इलाज: समीरपन्नग रस पाउडर 30-40 मिग्रा शहद के साथ सुबह-शाम लें। बलारिष्ट दवा समभाग पानी के साथ दिन में दो बार लें। महारास्नादि काढ़ा और निर्गुंडी तेल व बला तेल से दर्द के अनुसार दिन में 2-3 बार मालिश करें। एसिडिटी में शिलाजीत व दूध के साथ गुग्गल लेना फायदेमंद है। दूध के साथ च्यवनप्राश लेने से वात विकारों दूर होते हैं।
व्यायाम करें : समतल बिस्तर का प्रयोग करें। सिर को दाएं-बाएं, बाएं-दाएं और गोलाकार रूप में घुमाएं। सीधे खड़े होकर दोनों कंधों को सामने से पीछे की ओर गोलाकार घुमाने से लाभ मिलता है। नाक में दो-दो बूंद गोघृत सुबह-शाम डालें। हड्डी से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में गिलोय-आंवला का प्रयोग लाभदायक है।