धर्मवीर शर्मा Retired Justice Dharamvir Sharma दानपुर नगर के हवेली परिवार में जन्मे थे उनके निधन का समाचार मिलते ही गांव और रिश्तेदारों में शोक की लहर दौड़ गई। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी रिटायर्ड न्यायमूर्ति के निधन पर शोक संवेदनाएं प्रकट की। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा इस समय नोएडा के सेक्टर 12 में रह रहे थे। वे गांव भी आते जाते रहते थे। अधिकांश समय उनका गांव में ही गुजरता था। गांव निवासी और समाज के लोग उनसे
जन्मभूमि विवाद पर दिए गए फैसले के बारे में सुनने के लिए उत्सुक रहते थे। उनके परिजन अंकित ने बताया कि गुरुवार रात तक वह स्वस्थ थे। शुक्रवार सुबह अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोपहर में उन्होंने अंतिम सांस ली। बुलंदशहर स्थित परिवार वालों के मुताबिक, गढ़मुक्तेश्वर में गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान उनके भाई
सत्यदेव गौतम और श्याम गौतम मौजूद रहे।
रिटायर्ड न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा ने 30 सितंबर, 2010 को
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ में रहते हुए राम मं
दिर विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। फैसला सुनाने के अगले दिन ही वह रिटायर्ड हो गए थे। रिटायर्ड न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा छह भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। गांव में उनका सदैव आना-जाना रहता था। सादा जीवन-उच्च विचार के सिद्धांत में विश्वास रखते थे। विवादित जन्मस्थल पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने अपनी अलग राय देते हुए कहा था कि विवादित परिसर भगवान राम की जन्म स्थली है। इस स्थल पर मुगल शासक बाबर ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था। परिसर में स्थित मस्जिद के परीक्षा के बाद यह बात साफ हो जाती है इसलिए पूरा विवादित परिसर हिंदुओं को दिया जाए।