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कृषि उपज मंडी क्या शिफ्ट हुई यहां खाने के पड़ गए लाले…

- बस स्टैंड शिफ्ंिटग की योजना अटकी, बूंदी मंडी हो गई कुंवारती में शिफ्ट

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Due to starving people in front of family members

kunwartii mandi

बूंदी.

बूंदी की कृषि उपज मंडी के कुंवारती का बरड़ा में जाने से आमजन को भले ही जाम से राहत मिल गई, लेकिन कई परिवारों का धंधा भी मंदा हो गया। अब पुराने परिसर के आस-पास और सडक़ पर सिर्फ सन्नाटा दिखाई पड़ रहा है। जबकि पुराने परिसर में बस स्टैंड को शिफ्ट करने का सरकार का वादा था, लेकिन दो माह होने को आए, कोई निर्णय नहीं हुआ है। अब यहां मंडी से आस-पास दुकान लगाकर परिवार पाल रहे लोगों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है। भू-खंड खरीदकर बनाई दुकानें अब बिक नहीं रही है और नई जगह पर जमीन की खरीद मुश्किल हो गई है। ऐसे में इस संकट ने यहां दर्जनों परिवार पर आर्थिक बोझ लाद दिया। मंडी के जानकार लोगों ने बताया कि बस स्टैंड को शिफ्ट किया जाने से यहां का कारोबार प्रभावित होने से बचाया जा सकता है।

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सिर्फ सन्नाटा


मंडी में कारोबार के दौरान अम्बेडर सर्किट, लंकागेट रोड, कृषि उपज मंडी रोड, सिलोर रोड, चित्तौड़ रोड खासी चहल-पहल रहती थी। जिलेभर के किसानों की आवक रहती थी, लेकिन अब मंडी के यहां से शिफ्ट होने के बाद रौनक गायब हो गई। इसका सीधा-सीधा असर बाजार के कारोबार पर दिखने लगा है। मंडी के चलते से यहां चारों तरफ बाजार सजे हुए हैं, लेकिन अब इन बाजारों में खर्चा निकालना भी मुश्किल हो गया। ग्राहकी घटकर मात्र दस फीसदी रह गई बताई।

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करने लगे पलायन


मंडी शिफ्ट होने के बाद अब तक बस स्टैंड को शिफ्ट करने की ओर सरकार की कोई रुचि नहीं दिखने से कई दुकानदार पलायन कर गए। अधिकतर थड़ी-ठेले हट गए। मंडी गेट के बाहर बढ़ी संख्या में ठेले लगते थे, जो अब बंद हो गए।यहां दुकानदारों के यहां ग्राहकी आधी से कम रही गई। दुकानदार शुभम सुमन ने बताया कि अब कुछनहीं मिलता।यही हाल दुकानदार महावीर मेवाड़ा ने बताए।

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किसानों का था बाजार


मंडी कारोबार के साथ-साथ बाजार किसानों के लिए था। अब किसान कुंवारती में अपनी उपज बेचने के बाद सीधे बूंदी के अन्य बाजारों में पहुंच रहे हैं, ऐसे में मंडी परिसर के आस-पास के बाजार की हवा निकल गई। मंडी के आस-पास खाद, बीज, दवाए और घरेलू समानों की भी दुकानें थी।


इस लिए शिफ्ट होगा बस स्टैंड


बूंदी का रोडवेज बस स्टैंड अब आबादी के बीच आ गया। बस स्टैंड के निकट स्कूल, कलक्ट्रेट, जिला अस्पताल और न्यायालय स्थित होने से इसे शिफ्ट किया जाना प्रस्तावित है। बस स्टैंड को शिफ्ट करने की लंबे समय से शहर के बाशिंदे भी मांग कर रहे हैं। इसे लेकर जिले के तत्कालीन प्रभारी मंत्री युनूस खान ने भी वादा किया था। उन्होंने अपने दौरे के दौरान इसे पुरानी मंडी में शिफ्ट कराने का भरोसा दिया था। तब जिला प्रशासन को इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश भी दिए गए थे। इससे लोगों को उम्मीद जगी थी कि बाजार पर कोई असर नहीं आएगा। अब बस स्टैंड के प्रस्ताव कहां अटक गए कोई स्पष्ट करने को तैयार नहीं है।
दुकानदारों की जुबानी...
मंडी शिफ्ट होते ही धंधा आधा रह गया।अब इक्का-दुक्का किसान ही आ रहे हैं। किसान अब यहां खाद-बीज की खरीद नहीं कर रहे।
हनी गंगवाल, व्यवसायी
बीते 10-12 वर्षों से मंडी गेट के बाहर धंधा कर रहा था, लेकिन मंडी शिफ्ट होने के बाद से ही परिवार को पालना मुश्किल हो गया। भूखे मरने की नौबत आ गई।
मनराज सेन, व्यवसायी
मंडी जाने से हलचल खत्म हो गई।धंधा भी ठप हो गया। पहले आठ कर्मचारी थी, अब तीन रह गए। बस स्टैंड यहां आना चाहिए।
भूपेंद्र नागर, रेस्टोरेंट संचालक

पुराने परिसर को लेकर सरकार से फिलहाल कोई पत्र नहीं मिला। निर्णय सरकार के स्तर पर ही होगा।
टी.आर. मीणा, सचिव, कृषि उपज मंडी, बूंदी

368.6 बीघा भूमि पर शिफ्ट
वर्ष 1974 को सरकार ने लंकागेट क्षेत्र में मंडी के लिए 80 बीघा जमीन आवंटित की थी। जिसमें वर्ष 1980 में जिंसों की खरीदारी शुरू हुई। यहां मंडी दो हिस्सों में बंटी हुई थी। ऐसे में सीजन के दौरान मंडी में जाम लगने का असर सीधे शहर पर आ रहा था। इसे अब कुंवारती में 368.6 बीघा भूमि पर शिफ्ट कर दिया।