
Alimony taxable in India: तलाक एक ऐसा विषय है जो भावनात्मक और आर्थिक दोनों स्तरों पर चुनौतीपूर्ण हो सकता है। तलाक के बाद जीवन को व्यवस्थित करने में एलिमनी (गुजारा भत्ता) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एलिमनी पर टैक्स का भी प्रभाव पड़ सकता है? यह जानना जरूरी है कि एलिमनी का टैक्सेशन आपके वित्तीय भविष्य को कैसे प्रभावित कर सकता है।
एलिमनी, जिसे स्पाउस सपोर्ट या मेंटेनेंस भी कहा जाता है, भारत में हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 और अन्य संबंधित कानूनों के तहत निर्धारित होती है। यह पति द्वारा अपनी पूर्व पत्नी को तलाक (Alimony taxable in India) के बाद दी जाने वाली आर्थिक सहायता है। एलिमनी को दो श्रेणियों में बांटा गया है:
टैक्सेशन के नियम: लंप सम बनाम मासिक भुगतान
लंप सम एलिमनी: टैक्स से छूट जब एलिमनी एकमुश्त राशि के रूप में दी जाती है, तो इसे कैपिटल रिसीट माना जाता है, जो टैक्स से मुक्त होती है।
कानूनी उदाहरण: दिल्ली हाईकोर्ट ने ACIT बनाम मीनाक्षी खन्ना (34 taxmann.com 297) मामले में स्पष्ट किया कि यदि एलिमनी एकमुश्त दी जाती है और मासिक भुगतान के अधिकार को छोड़ा जाता है, तो यह टैक्सेबल नहीं होती।
मासिक एलिमनी: मासिक आधार पर दी जाने वाली एलिमनी को रेवेन्यू रिसीट माना जाता है और यह आयकर अधिनियम के तहत अन्य स्रोतों से आय की श्रेणी में आती है।
प्राप्तकर्ता पर प्रभाव: मासिक एलिमनी प्राप्त करने वाले को इसे अपनी आयकर रिटर्न में शामिल करना होता है, और इस पर उनकी आय वर्ग के अनुसार टैक्स लगाया जाता है।
जब एलिमनी (Alimony taxable in India) नकद के बजाय संपत्ति (जैसे जमीन, घर, शेयर) के रूप में दी जाती है, तो टैक्सेशन का मामला और जटिल हो सकता है। तलाक से पहले हस्तांतरित संपत्ति यदि संपत्ति तलाक से पहले हस्तांतरित की जाती है, तो इसे आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(x) के तहत कर-मुक्त उपहार माना जा सकता है। तलाक (Alimony taxable in India) के बाद हस्तांतरित संपत्ति तलाक के बाद, चूंकि पति-पत्नी का कानूनी संबंध समाप्त हो जाता है, संपत्ति को उपहार नहीं माना जाता।
Alimony भुगतान (Alimony taxable in India) करने वाले व्यक्ति को इस राशि को अपनी कर योग्य आय से कटौती योग्य खर्च के रूप में नहीं दिखाने की अनुमति है। इसका मतलब है कि एलिमनी देने वाले को इस पर किसी तरह की कर छूट नहीं मिलती।
भारत में आयकर अधिनियम में Alimony के टैक्सेशन (Alimony taxable in India) को लेकर स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं, जिससे यह विषय विवादास्पद हो सकता है। विभिन्न अदालतों के फैसलों और मामलों से ही यह तय होता है कि एलिमनी टैक्सेबल होगी या नहीं।
जो लोग मासिक एलिमनी (Alimony taxable in India) प्राप्त करते हैं, उन्हें इसे अपनी आयकर रिटर्न में सही तरीके से दिखाना चाहिए। ऐसा न करने पर आयकर विभाग द्वारा जुर्माना और ब्याज लगाया जा सकता है।
Published on:
14 Jan 2025 01:52 pm
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