
होम लोन के साथ बैंक ग्राहकों से कई सारे अलग-अलग चार्जेज वसूलते हैं। (PC: Patrika)
Home Loan Charges: महंगाई के इस दौर में प्रॉपर्टी के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। आम आदमी के लिए घर खरीदना एक बहुत बड़ा संघर्ष हो गया है। घर किसी भी व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी खरीदारी होती है। ऐसे में एकमुश्त पैसा देकर घर खरीदना अधिकतर लोगों के लिए संभव नहीं है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग लोन लेकर घर खरीद रहे हैं। अगर आप भी होम लोन लेने जा रहे हैं, तो अलग-अलग बैंकों के ऑफर्स एक बार देख लें। जहां सबसे कम रेट मिल रही हो और दूसरे चार्जेज भी कम हो, वहां से लोन उठा सकते हैं। होम लोन के साथ कई सारे दूसरे चार्जेज भी आते हैं। अक्सर लोगों को इनके बारे में पता नहीं होता। आइए जानते हैं।
आप जब बैंक में होम लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो आपसे आवेदन फीस ली जाती है। इसे एप्लीकेशन फीस या लॉग-इन फीस भी कहते हैं। यह फीस वापस नहीं होती है। बैंक आपका लोन अप्रूव करे या न करें, आपको यह फीस देनी ही होगी। ऐसे में आपको उसी बैंक में लोन के लिए अप्लाई करना चाहिए, जहां से लोन लेने का आपका पूरा मन हो।
लॉग-इन फीस के अलावा बैंक ग्राहकों से प्रोसेसिंग फीस भी लेते हैं। लोन एप्लीकेशन के साथ ही यह फीस ले ली जाती है। वैसे तो यह फीस गैर-वापसी होती है, लेकिन ग्राहक इस फीस को कम करवा सकते हैं या माफ भी करवा सकते हैं। कुछ बैंक और एनबीएफसी में यह सुविधा होती है कि आप इस फीस का एक हिस्सा एप्लीकेशन के साथ दे सकते हैं और दूसरा हिस्सा लोन मिलने से पहले दे सकते हैं।
जिस प्रॉपर्टी के लिए होम लोन लेना है, उसकी फिजिकल हेल्थ और मार्केट वैल्यू पता करने के लिए बैंक टेक्निकल एक्सपर्ट डिप्लॉय करते हैं। ये एक्सपर्ट प्रॉपर्टी की कई पैरामीटर्स में जांच करते हैं। कुछ कर्जदाता इस फीस को प्रोसेसिंग फीस में ही शामिल कर लेते हैं। वहीं, कुछ कर्जदाता इस फीस को अलग से लेते हैं।
कर्ज देने वाला संस्थान यह पता करता है कि जिस प्रॉपर्टी पर लोन दे रहा है, उस पर कोई लीगल डिसपुट तो नहीं है। प्रॉपर्टी की कानूनी स्थिति की छानबीन करने के लिए बाहरी वकीलों को डिप्लॉय किया जाता है। इसके लिए ग्राहकों से लीगल फीस ली जाती है। अगर उस प्रॉपर्टी को बैंक ने पहले ही कानूनी रूप से मंजूरी दे रखी हो, तो यह फीस नहीं लगती है। ग्राहक को अपने बैंक से यह पता कर लेना चाहिए कि जो प्रॉपर्टी वे खरीद रहे हैं, उसे बैंक ने पहले से मंजूरी दे रखी है या नहीं। अगर मंजूरी पहले से मिली हुई हो, तो आप लीगल फीस माफ करवा लें।
मॉर्गेज डीड एक लीगल डॉक्यूमेंट होता है, जो कर्जदाता और ग्राहक के बीच एक एग्रीमेंट का काम करता है। इसमें ग्राहक लोन के लिए अपनी प्रॉपर्टी बैंक के पास गिरवी रखने की हामी भरता है। इसमें लोन की टर्म्स और कंडीशंस भी रहती हैं। मॉर्गेज डीड फीस लोन लेते समय एक बड़ी फीस रहती है। यह होम लोन के पर्सेंटेज के रूप में होती है। कई बार बैंक होम लोन प्रोडक्ट को आकर्षक बनाने के लिए इस फीस को माफ भी कर देते हैं।
लोन एप्लीकेशन के प्रोसेस हो जाने और लोन अप्रूव हो जाने के बाद एक तय समयावधि तक भी आप लोन नहीं उठाते हैं, तो आपसे कमिटमेंट फीस वसूली जाएगी। यह फीस अनडिस्ट्रीब्यूटेड लोन पर ली जाती है।
अगर आप लोन की अवधि पूरी होने से पहले ही पैसा वापस चुकाना चाहते हैं, तो बैंक आपसे प्रीपेमेंट पेनल्टी वसूलते हैं। यह पेनल्टी अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग होती है। हालांकि, आरबीआई ने फ्लोटिंग ब्याज दर पर लिए गए होम लोन पर प्रीपेमेंट पेनल्टी नहीं वसूलने का निर्देश सभी बैंकों को दिया हुआ है। फिक्स्ड रेट वाले होम लोन्स के लिए प्रीपेमेंट पेनल्टी ली जाती है। यह अक्सर प्रीपेमेंट रकम की 2 फीसदी तक होती है।
होम लोन डिसबर्स होने के बाद ग्राहक को घर की पजेशन मिलने में देरी होती है, तो कर्जदाता एक ब्याज चार्ज करता है, इसे प्री-ईएमआई के नाम से जानते हैं। यह जब तक लिया जाता है, तब तक ग्राहक को घर की पजेशन नहीं मिल जाती। पजेशन मिलने के बाद फिर EMI पेमेंट स्टार्ट होता है।
कई कर्जदाता प्रॉपर्टी पर किसी भी फिजिकल डैमेज के लिए इंश्योरेंस लेने को कहते हैं। कुछ कर्जदाता ग्राहकों से लोन प्रोटेक्शन लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने को भी कहते हैं। ताकी कुछ अनहोनी हो जाए, तो ग्राहक के परिवार पर कर्ज का बोझ न पड़े। अगर आप होम लोन के साथ इस तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी लेना चाहते हैं, तो आपको यह प्रीमियम भरना होगा। यह सिंगल प्रीमियम पॉलिसी होती है।
Published on:
30 Jun 2025 02:08 pm
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