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Gold पर टैक्स चोरी का नया तरीका, लूपहोल का फायदा उठा रहे आयातक

टैक्स लूपहोल का फायदा उठाकर आयातक भारी मात्रा में बिना टैक्स चुकाए सोने का आयात कर रहे हैं, जिससे सरकार को भारी राजस्व घाटा हो रहा है।

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भारत

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Ashish Deep

Jun 13, 2025

Gold पर आयातक अब नए ढंग से टैक्स चोरी कर रहे हैं। पत्रिका

नई दिल्ली। देश में सोने पर टैक्स चोरी का तरीका तेजी से बदल रहा है। अब तक लोग अपने शरीर या सामान में छिपाकर विदेश से सोना लाते थे, वहीं अब कानूनी तरीके से लिक्विड गोल्ड (गोल्ड कंपाउंड) के नाम पर भारी मात्रा में सोना जीरो ड्यूटी पर मंगाया जा रहा है। यूएई, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से आने वाले इन गोल्ड कंपाउंड्स पर कोई कस्टम ड्यूटी नहीं लगती है, इन टैक्स लूपहोल का फायदा उठाकर आयातक भारी मात्रा में बिना टैक्स चुकाए सोने का आयात कर रहे हैं, जिससे सरकार को भारी राजस्व घाटा हो रहा है। अभी सोने पर 6% कस्टम ड्यूटी है, जो पिछले साल 15% थी।

वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआइएस) के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2024-25 में लिक्विड गोल्ड का आयात 5.33 गुना बढ़कर 1,27,886 किलोग्राम हो गया, जो 2023-24 में 23,991 किलो और 2022-23 में केवल 6395 किलोग्राम था। वहीं इस साल जनवरी से मार्च के बीच गोल्ड कंपाउंड का आयात 69,879 किलोग्राम रहा, जो पिछले साल की मार्च तिमाही में तुलना में 9.25 गुना और दिसंबर तिमाही की तुलना में 2.84 गुना अधिक है। इसका कुल मूल्य लगभग 1.29 अरब डॉलर आंका गया।

सरकार को इतना नुकसान

जानकारों के अनुसार, लिक्विड गोल्ड से निकलने वाले असली सोने की मात्रा औसतन 15% होती है। इस हिसाब से वित्त वर्ष 2024-25 में यूएई, जापान और ऑस्ट्रेलिया से 1,11,856 किलोग्राम के लिक्विड गोल्ड आयात से लगभग 16,778 किलोग्राम शुद्ध सोना निकाला गया। औसतन 90 लाख रुपए प्रति किलो की दर से सरकार को करीब 906 करोड़ रुपए का कस्टम ड्यूटी नुकसान हुआ।

पारंपरिक सोने का आयात घटा

लिक्विड गोल्ड के मुकाबले पारंपरिक रूप से आयात किए गए सोने की मात्रा में 2024-25 में 51.2% की गिरावट दर्ज की गई है और यह 9.5 अरब डॉलर पर सिमट गया। आइबीजेए के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता ने चेताया कि यह भले ही कानूनन वैध है, लेकिन इससे बाजार में असंतुलन पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा, इससे स्पष्ट है कि गोल्ड कंपाउंड के जरिए आयातकों ने कस्टम ड्यूटी से बचने का आसान रास्ता अपनाया है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है।