
Rupee reaches record low against dollar, crosses 80 for the first time to reach 81.09 level
Dollar vs Rupee: शुक्रवार यानी 23 सितंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया 41 पैसे गिरकर अबतक के सबसे निचले स्तर पर शुरुआती कारोबार में खुलते ही पहुंच गया है। बीते दिन गुरुवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले भारी गिरावट के साथ 80.86 रुपए के स्तर पर बंद हुआ था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 24 फरवरी के बाद बीते दिन गुरुवार को रुपया में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली। मार्केट एक्सपर्ट के अनुसार आने वाले दिनों में रुपया में गिरावट जारी रह सकती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस साल डॉलर के मुकावले भारतीय रुपए में 8.48% की गिरावट आई है। वहीं अमरीकी ट्रेजरी यील्ड में उछाल के कारण 10 साल की बॉन्ड यील्ड में 6 बेसिक प्वाइंट बढ़कर पिछले 2 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
डॉलर के मुकावले भारतीय रुपया में क्यों आ रही गिरावट?
मार्केट एक्सपर्ट के अनुसार अमरीका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें बढ़ाने और आगे भी सख्त रुख बनाए रखने के स्पष्ट संकेत दिए हैं, जिससे निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है। इसके कारण दुनिया भर की करेंसी देखी जा रही है। वहीं रूस-यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के कारण निवेशक जोखिम उठाने से बच रहे हैं, जिसके कारण अमरीकी करेंसी में मजबूती और भारत सहित अन्य देशों की करेंसी में गिरावट देखने को मिल रही है।
अगले हफ्ते RBI जारी करेगा मौद्रिक नीति
सीआर फॉरेक्स के एडवाइजर्स ने कहा कि अगले हफ्ते RBI मौद्रिक नीति जारी करेगा, जिसे देखना दिलचस्प होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय रुपया में जारी गिरावट को RBI नहीं रोक सका क्योंकि बैंकिंग प्रणाली वर्तमान में घाटे में है। ऐसी स्थिति में RBI के हस्तक्षेप से ब्याज दरों में बढ़ोतरी होगी, जिससे बैंकिंग प्रणाली की स्थिति और खराब हो सकती है।
शेयर मार्केट में भी जारी है गिरावट
इस हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन में शेयर मार्केट में भी गिरावट देखने को मिल रहा है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में अभी 1.04% के साथ 614.8 अंको की गिरावट देखने को मिल रही है। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में 1.15% के साथ 202.05 अंको की गिरावट देखने को मिल रही है। यह गिरावट सुबह 11 बजकर 15 मिनट की है, अभी मार्केट ओपन है इसलिए उतार-चढ़ाव जारी है।
भारतीय रुपए में गिरावट से आम आदमी पर क्या पड़ेगा असर?
रुपए में गिरावट के बाद उतना ही समान विदेशों से आयात करने पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं, जिसके कारण आयात किया हुआ समान और अधिक महंगा हो जाता है। इसके कारण देश में महंगाई बढ़ती है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत डॉलर में तय होती है, जिसके कारण देश में तेल की कीमतें भी बढ़ जाती हैं।
Updated on:
23 Sept 2022 11:28 am
Published on:
23 Sept 2022 10:56 am
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