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Air India अभी Tata Sons की नहीं हुई, जानिए सरकार ने क्या दी सफाई

locationनई दिल्लीPublished: Oct 01, 2021 04:11:08 pm

अभी टाटा सन्स की नहीं हुई Air India, सरकार ने दिया स्पष्टीकरण

Air India Tata
नई दिल्ली। सरकारी एयरलाइन एअर इंडिया ( Tata Aquire Air India ) टाटा समूह के नियंत्रण में अभी नहीं आई है। सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया पर किसका मालिकाना हक होगा, इसके लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल, मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि टाटा समूह ने एयर इंडिया के नीलामी की प्रक्रिया जीत ली है।
हालांकि, अब सरकार की ओर से इस पर सफाई दी गई है। डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सचिव ने बताया है कि मीडिया रिपोर्ट गलत हैं। सरकार के निर्णय के बारे में मीडिया को सूचित किया जाएगा। इससे पहले ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि टाटा संस के एअर इंडिया के खरीदने के प्रस्ताव को सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
रिपोर्एट में कहा गया था कि, एअर इंडिया के लिए टाटा ग्रुप ( Tata Group ) और स्पाइसजेट (SpiceJet) के अजय सिंह ने बोली लगाई थी। टाटा संस ने सबसे ज्यादा कीमत लगाकर बोली जीत ली है। हालांकि अब सरकार से इसे खारिज कर दिया है।
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https://twitter.com/SecyDIPAM/status/1443844070757986305?ref_src=twsrc%5Etfw
https://twitter.com/ANI/status/1443826838262800386?ref_src=twsrc%5Etfw
ये है सरकार की शर्त

सरकार की शर्तों के मुताबिक सफल बोली लगाने वाली कंपनी को एयर इंडिया के अलावा सब्सिडरी एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी शत प्रतिशत नियंत्रण मिलेगा। वहीं, एआईएसएटीएस में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी पर कब्जा होगा।
सरकार का मकसद दिसंबर 2021 तक Air India डील को पूरा करना है। सरकर अपना विनिवेश का टारगेट पूरा करने के लिए यह डील जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है। एअर इंडिया का रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपए तय किया गया था।
बता दें कि यह दूसरा मौका है जब सरकार एअर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रही है। इससे पहले 2018 में सरकार ने कंपनी में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी लेकिन उसे कोई रिस्पांस नहीं मिला था।
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जे आर डी टाटा ने 1932 में की थी शुरुआत
जे आर डी टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी। जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई। 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी।
लेकिन 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई।
करीब 68 वर्ष बाद एक बार फिर टाटा ग्रुप की टाटा संस ने इस एयरलाइन में दिलचस्पी दिखाई और सबसे ज्यादा कीमत लगाकर एयर इंडिया का दोबारा महाराजा बनने का मौका हासिल किया। बता दें कि टाटा संस की ग्रुप में 66 फीसदी हिस्सेदारी है, और ये टाटा समूह की प्रमुख स्टेकहोल्डर है।
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