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पुरानी गाड़ी कबाड़ में फेंकने से पहले जान लें सरकार की कबाड़ नीति

सरकार ने पुरानी गाड़ियों से निजात पाने के लिए रणनीति तैयार कर ली है बड़ी बात ये है कि सरकार की नीति के सामने आने से पहले ही ऑटोमोबाइल सेक्टर उस दिशा में काम करना शुरू कर चुका है।

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नई दिल्ली: बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार लंबे समय से पुरानी गाड़ियों को बैन लगाने की बात कर रही है । आपको बता दें कि सरकार 15 साल से पुरानी इन गाड़ियों को सड़कों से हटाने के लिए कबाड़ नीति पर काम कर रही है। होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर्स इंडिया की बीएस-6 उत्सर्जन मानक वाली नई एक्टिवा 125 की लॉन्च के मौके पर नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार इस बारे में नीति आयोग के साथ मिलकर इस नीति को बनाया गया है। यह पूरा होने के अंतिम चरण में है। इसके तहत 15 साल या इससे ज्यादा पुराने वाहनों को हटाया जाएगा। हालांकि इसे वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलनी बाकी है।

गडकरी ने कहा कि कि बेकार हुए वाहनों के स्क्रैप (कबाड़) का इस्तेमाल ऑटोपार्ट व अन्य चीजों को बनाने के लिए किया जाएगा।

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ऑटो कंपनियां भी आई आगे-

सरकार की कबाड़ नीति को देखते हुए दिग्गज कार निर्माता कंपनियां भी सरकार के समर्थन में आगे आई हैं। मारूति सुजुकी ने पुराने वाहनों को कबाड़ करने के लिए टोयोटा के साथ मिलकर प्लांट लगाने की योजना बनाई है। मारुति ने इसके लिए टोयोटा सब्सिडियरी कंपनी तूशो से करार किया है। आपको बता दें कि तूशो वाहनों को तोड़ने काम करती है और साथ ही उनके पार्टस को कबाड़ में बिक्री के लिए उपलब्ध करायगी।

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महिन्द्रा ने भी लगाया है रिसाइकिल प्लांट- आपको बता दें कि मारुति से पहले महिन्द्रा एंड महिंद्रा ने ग्रेटर नोएडा में कबाड़ की गाड़ियों को ठिकाने लगाने के लिए रिसाइकल प्लांट लगाने की घोषणा की है। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने ये प्लांट अपनी सब्सिडियरी कंपनी महिंद्रा असेलो के जरिये लगाने का प्लान बनाया है और इसके लिए पब्लिक सेक्टर की कंपनी एमएसटीसी के साथ गठजोड़ किया है।