
Genetic counselor
आज के दौर में इंसान को कई बीमारियों ने घेर लिया है। कई बार तो बीमारियां भी ऐसी होती हैं कि आसानी से पकड़ में नहीं आती। ऐसे में यह समझ पाना मुश्किल हो जाता है कि आखिर इस मर्ज के लिए किस स्पेशलिस्ट को दिखाया जाए। ऐसे में ज्यादातर मरीजों का सारा समय सही डॉक्टरी इलाज ढूंढने में व्यर्थ हो जाता है और उसे बचा पाना मुश्किल हो जाता है। जब आनुवांशिक बीमारियों या दोषों की बात हो तो समझ में नहीं आता कि क्या किया जाए। ऐसी परिस्थिति में जेनेटिक काउंसलिंग चिकित्सा, मनोविज्ञान व पारिवारिक कारकों को ध्यान में रखते हुए मरीज की मदद करती है। जेनेटिक काउंसलर मरीजों के साथ लंबा समय गुजारते हैं ताकि वे डायग्नोसिस को समझ सके। इससे मरीज को सही समय पर सही इलाज मिलने में मदद मिलती है। इसमें करियर का अच्छा स्कोप है।
चुनौतियां कम नहीं हैं
जेनेटिक काउंसलर के लिए बायोटेक्नोलॉजी और बायोकैमिस्ट्री जैसे विषयों की पढ़ाई करनी पड़ती है। आपको मरीज की बात को धैर्य से सुनने और प्रभावी तरीके से अपनी बात समझाने में भी दक्ष होना चाहिए। कई युवा इसमें संतुष्टि का अहसास पाने के लिए आते हैं पर यहां भी चुनौतियां कम नहीं हैं। चुनौतियों का सामना करें और इस क्षेत्र में खुद को दक्ष बनाएं।
लंबी प्रक्रिया है...
दुनियाभर में आमतौर पर जेनेटिक काउंसलर किसी फिजीशियन के क्लिनिक या बायोटेक्नोलॉजी की कंपनी में काम करते हुए मिल सकते हैं । कुछ जेनेटिक काउंसलर रिसर्च या टीचिंग से भी जुड़े हुए हैं । जेनेटिक काउंसलर का समय मरीजों का समरी लैटर तैयार करने, आने वाले मरीजों का केस समझने और पेपर तैयार करने में खर्च होता है। जब जेनेटिक गड़बड़ी पकड़ में आती है तो उसमें सुधार की दिशा में काम शुरू किया जाता है । इससे बीमारी का समय रहते इलाज करने में मदद मिलती है।
Published on:
01 Aug 2018 11:59 am
बड़ी खबरें
View Allकॅरियर कोर्सेज
शिक्षा
ट्रेंडिंग
