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बच्चों ने कला कार्यशाला में दिखाई प्रतिभा

मईलापुर स्थित नागेश्वरा राव पार्क में सप्ताहांत के रूप में सुंदरम फाइनेंस की ओर से शनिवार को शतरंज स्क्वेयर पर करीब दो घंटे की ‘गोंड आर्ट’ क

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Children show talent in art workshop

Children show talent in art workshop

चेन्नई।मईलापुर स्थित नागेश्वरा राव पार्क में सप्ताहांत के रूप में सुंदरम फाइनेंस की ओर से शनिवार को शतरंज स्क्वेयर पर करीब दो घंटे की ‘गोंड आर्ट’ कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में करीब बच्चों ने हिस्सा लिया।

इसमें बच्चों को उनकी पसंद का एक पैटर्न या डिजाइन बनाने के लिए सही लाइनों, डॉट्स और डैश का उपयोग करने की कला सिखाई गई। इसमें बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
गौरतलब है कि ‘वीकेंड एट द पार्क’ सुंदरम फाइनेंस द्वारा नागेश्वर राव पार्क में एक त्रैमासिक गतिविधि है जिसमें बच्चों को उनके घरों के प्राकृतिक वातावरण से बाहर आने और पार्क में खाली स्थानों का रचनात्मक रूप से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।


विकट हालात में भी सक्रिय बनाए रखती है सहनशीलता

चेटपेट में हैरिंगटन रोड स्थित झामड विला में विराजित कपिल मुनि ने कहा कि जिंदगी के प्रत्येक मोर्चे का मुकाबला करने के लिए परिषह विजय की साधना बेहद जरुरी है। जीवन में आगत कष्ट, दु:ख को समभाव से सहन करना ही परीषह विजय है। सहिष्णुता कमजोरी नहीं बल्कि व्यक्तित्व को निखारने वाला एक महत्वपूर्ण गुण है। इस गुण के अभाव में व्यक्ति की सभी विशेषता अर्थहीन हो जाती है। जिसे सहना आता है वही जीवन को जीना जानता है।

सहनशीलता एक ऐसी क्षमता है जो हमें विकट हालातों में भी सक्रिय बनाए रखती है। सहिष्णुता की जीवन में बहुत ही उपयोगिता है। यह दुनिया रंग-बिरंगी और विचित्रता से भरी है। यहां सब की रुचि, स्वभाव, विचार, रंग-रूप एक सामान नहीं होता। व्यक्ति को जीवन में अनेक कड़वे मीठे अनुभवों के दौर से गुजरना होता है। जीवन संघर्ष में अनेक उतार-चढ़ाव, विपदाएं, प्रतिकूलताएं सहनी होती है। इन प्रतिकूलताओं के चलते हमें हर पल आगे बढऩा है तो सहनशक्ति का विकास करना होगा।

सहन शक्ति के विकास से व्यक्ति शक्तिशाली और समर्थ बनता है। जीवन शक्ति और सहनशक्ति दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। प्रतिकूल विचार, व्यक्ति और परिस्थितियां को सहना ही सहिष्णुता है। सहिष्णुता अनेक सद्गुणों की जननी है। सहिष्णुता से जीवन शक्ति की वृद्धि होती है जो की आनन्द की अनुभूति का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि प्रतिकूलताएं कष्ट, दुख, जीवन की परीक्षा है और जब हम इसमें उत्तीर्ण हो जाते हैं तो आनन्द मिलता है। व्यक्ति को सफल नहीं होने पर निराश होने के बजाय धैर्य का दामन थामना चाहिए।