
6 हजार करोड़ का सालाना रोजगार पैदा कर सकता है ड्रोन सेक्टर : ठाकुर
चेन्नई. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने मंगलवार को कहा कि भारत ड्रोन तकनीक का हब बनेगा और देश को अगले साल तक कम से कम 1 लाख ड्रोन पायलटों की आवश्यकता होगी। वे चेंगलपेट के अग्नि कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी में भारत के पहले ड्रोन स्किलिंग एंड ट्रेनिंग सम्मेलन का उद्घाटन व 'ड्रोन यात्रा 2.0' को हरी झंडी दिखाने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
यह बताते हुए कि भारत को 2023 में कम से कम 1 लाख पायलटों की आवश्यकता होगी, उन्होंने कहा कि प्रत्येक पायलट को न्यूनतम 50 से 80 हजार मासिक वेतन मिलेगा इस हिसाब से ड्रोन क्षेत्र में सालाना 6000 करोड़ रुपए का रोजगार सृजित होने की संभावना है। उन्होंने गरुड़ एयरोस्पेस की अगले दो वर्षों में एक लाख 'मेड इन इंडिया' ड्रोन बनाने की योजना की सराहना की। गरुड़ का ड्रोन कौशल और प्रशिक्षण सम्मेलन देश भर के 775 जिलों में आयोजित किया जाएगा जिसका लाभ 10 लाख से अधिक युवाओं को होने की उम्मीद है। वर्तमान में देश में 200 से अधिक ड्रोन स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं इनकी संख्या में वृदि्ध के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेगे।
कृषि उत्पादन में प्रौद्योगिकी
उन्होंने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि ये ड्रोन खेतों में कीटनाशकों के उपयोग को सुव्यवस्थित करने में मदद करेंगे, जिससे हमारे किसानों की लाभप्रदता में और सुधार होगा।
संसाधनों की सुरक्षा
अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि देश में अवैध खनन पर रोक लगाने और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने में 'ड्रोन प्रौद्योगिकी' महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। खनन और अवैध खनन दो अलग-अलग चीजें हैं। अवैध खनन पर नजर रखने के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। ड्रोन प्रौद्योगिकी हमारे संसाधनों को बचाने के लिए एक बड़ा साधन बन सकती है।'' ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान ड्रोन का उपयोग दवा और टीका पहुंचाने में किया गया।
Published on:
07 Dec 2022 01:25 am
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