मामले पर सुनवाई के दौरान उन्हें दोषी पाते हुए स्पेशल कोटज़् की न्यायाधीश एलिसिया ने यह आदेश दिया। इंदिरा कुमारी के निजी सहायक वेंकटकृष्णन पर 10 हजार का जुमानज़ लगाते हुए उन्हें बरी कर दिया गया, जबकि किरुबाकरण नामक एक अन्य नौकरशाह के खिलाफ लगे आरोप समाप्त कर दिए गए, क्योंकि उनकी मृत्यु हो चुकी है।
यह मामला इंदिरा कुमारी के पति बाबू द्वारा चलाए जा रहे एक ट्रस्ट को बहरे एवं दृष्टिबाधित विद्यालय की स्थापना के लिए दिए गए 15.45 लाख रुपए के सरकारी धन की हेराफेरी से संबंधित है। कोष आवंटित हुआ लेकिन राशि की हेराफेरी कर दी गई।
सजा सुनते ही बिगड़ा स्वास्थ्य
पांच साल की सजा का फैसला आते ही कोटज़्ज़् परिसर में मौजूद इंदिरा कुमारी ने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की तो उन्हें तत्काल रॉयपेट्टा अस्पताल में भतीज़् कराया गया। उल्लेखनीय है कि राज्य की पूवज़् मुख्यमंत्री स्वगीज़्ज़्य जे. जयललिता के शासनकाल के दौरान 1991-96 के बीच इंदिरा कुमारी राज्य की समाज कल्याण मंत्री थी। बाद में वे एआईएडीएमके छोड़ कर डीएमके में शामिल हो गई थी।
पहले भी लगे आरोप
अन्नाद्रमुक के 1991-96 के शासनकाल में इंदिरा कुमारी जो उस वक्त समाज कल्याण मंत्री थे पर बच्चों को मुफ्त जूते-चप्पल देने की योजना में घोटाले का आरोप लगा था। हालांकि बाद में उनके सहित सभी आरोपी बरी कर दिए गए थे। फिर उनके खिलाफ तत्कालीन समाज कल्याण विभाग की सचिव लक्ष्मी प्राणेश ने 1997 में धन के दुरुपयोग की शिकायत दजज़् कराई थी।