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चेन्नई

सफर एक शताब्दी का…

तमाम तरह की परेशानियों एवं बाधाओं के बावजूद सर्कस (Circus) आज भी लोगों का मनोरंजन करा रहा है। इन दिनों चेन्नई महानगर में मूर मार्केट (Moor Market) के पास ग्रेट बोम्बे सर्कस (Great Bombay Circus) चल रहा है जो जन मनोरंजन का १००वां साल मना रहा है।

चेन्नईFeb 06, 2020 / 10:33 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

great bombay circus

great bombay circus

चेन्नई. तमाम तरह की परेशानियों एवं बाधाओं के बावजूद सर्कस आज भी लोगों का मनोरंजन करा रहा है। इन दिनों चेन्नई महानगर में मूर मार्केट के पास ग्रेट बोम्बे सर्कस चल रहा है जो जन मनोरंजन का १००वां साल मना रहा है। इस सर्कस में विदेशी कलाकारों की भरमार है। 17 फरवरी को चेन्नई में चल रहे सर्कस का अंतिम शो होगा और इसके बाद तमिलनाडु के मण्णारगुड़ी में ग्रेट बोम्बे सर्कस लगेगा।
ग्रेट बोम्बे सर्कस के पार्टनर संजीव के.एम. कहते हैं, वर्ष 1920 में दि ग्रेट बोम्बे सर्कस की शुरुआत हुई थी। आज सौ साल बाद भी सर्कस के शो लगातार चालू है। यह अपने आप में मिसाल है। सर्कस में विविधता देखने को मिल रही है। भारतीय कलाकारों के साथ ही विदेशी कलाकार हैरतअंगेज कारनामे दिखा रहे हैं।
कलाकारों की प्रस्तुतियां

इथोपिया के कलाकारों का एक्रोबेटिक्स देखते ही बनता है तो रशियन कलाकारों के तलवार पर नंगे पैर चलना, कांच पर चलना एवं फायर डांस लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने पर विवश कर देता है। चाइना के कलाकारों की रोलर एक्रेबेट्स भी गजब का है। मणिपुर के कलाकारों का पिरामिड बनाना हो या फिर अन्य कलाकारों की अलग-अलग प्रस्तुतियां। हर किसी का मन मोह लेती हैं।
मोबाइल और मैदान
उनका कहना है कि सर्कस को इन दिनों कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनमें मोबाइल के कारण लोग अपने पसंदीदा कार्यक्रम मोबाइल में ही देख लेते हैं। दूसरा सर्कस के लिए ग्राउण्ड मिल पाना भी काफी कठिन होता है। वहीं सर्कस के लिए 18 वर्ष की उम्र के बाद ही किसी कलाकार को रख सकते हैं। इन दिनों सर्कस फेडरेशन से जुड़े करीब दर्जन भर सर्कस ही है। प्राचीन रोम में भी सर्कस हुआ करते थे। बाद में जिप्सियों ने इस खेल को यूरोप तक पहुंचाया। लंदन में 9 जनवरी 1768 को सर्कस का शो दिखाया था।
जानवरों के प्रदर्शन पर विरोध

सर्कस में जानवरों के प्रदर्शन पर विरोध होने लगा और पेटा सहित अन्य संगठनों के प्रदर्शन के बाद कई देशों में जानवरों के सर्कस में प्रयोग पर पाबंदी लगने लगी। 1990 में भारत में सुप्रीम कोर्ट ने सर्कस में जंगली जानवरों के प्रयोग पर रोक लगा दी थी। तब से कुछ ही जानवर सर्कस में प्रयोग होते हैं और उन्हें भी बैन करने की मुहिम चलाई जा रही है।
योजक कड़ी जोकर
सर्कस में सबसे ज्यादा तालियां बजती हैं जोकरों के लिए। खासकर बच्चे इनका इंतजार करते रहते हैं कि ये कब मंच पर आएंगे। रंग-बिरंगे चेहरे, नकली नाक व बाल लगाकर सबको हंसाने वाले जोकर दो प्रोग्राम के बीच की योजक कड़ी का काम करते हैं। इस समय में वो सबको खूब हंसाते हैं। कई लोगों की नकल करके जोक सुनाके वे ऐसा करते हैं। कई बार तो इनके भी अलग कार्यक्रम होते हैं।
काम काफी मेहनतभरा

आमतौर पर जोकर वे बनते हैं जो शारीरिक विकास में पिछड़ जाते हैं और कद कम रह जाता है। बच्चों जैसे दिखने वाले ये जोकर कई बार साठ-साठ साल की उम्र तक के होते हैं। कई जोकर आम इनसान जितने भी होते हैं पर तालियां तो छोटे कद वाले जोकर ही बटोर ले जाते हैं। इनका काम भी काफी मेहनतभरा होता है।
कलाकार कहिन
सर्कस के प्रति लोगों की दिलचस्पी आज भी बनी हुई है। सर्कस के कलाकार फिल्मी कलाकारों से अलग हैं। सर्कस के कलाकारों को जीवंत प्रदर्शन दिखाना होता है। इसके लिए रोज कड़ा अभ्यास करना होता है। दर्शकों का उत्साह ही उनमें जोश जगाता है। सर्कस में कलाकारी दिखाने से पूर्व हर रोज कुछ समय इसकी रिहर्सल की जाती है ताकि और बेहतर प्रदर्शन दिखा सकें। सर्कस के कलाकार अपने बच्चों को सर्कस की बजाय अन्य पेशे में लाना चाहते हैं। कारण यह है कि सर्कस अब कम होते जा रहे हैं। कई सर्कस मौजूदा दौर में टिक नहीं पा रहे हैं। ऐसे में नए सर्कस भी कम आ रहे हैं।
अब्बास, सर्कस कलाकार
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आज भी फिल्मों के बाद सर्कस मनोरंजन का प्रमुख साधन बना हुआ है। तरह-तरह की परेशानियों के बावजूद सर्कस चालू है और लोगों का मनोरंजन करा रहा है। ग्रेट बोम्बे सर्कस इन दिनों शताब्दी मना रहा है। आज सौ साल बाद भी सर्कस के शो लगातार चालू है। भारतीय कलाकारों के साथ ही विदेशी कलाकार हैरतअंगेज कारनामे दिखा रहे हैं।
प्रकाश, ग्रेट बोम्बे सर्कस के प्रबंधक

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