मोबाइल और मैदान
उनका कहना है कि सर्कस को इन दिनों कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनमें मोबाइल के कारण लोग अपने पसंदीदा कार्यक्रम मोबाइल में ही देख लेते हैं। दूसरा सर्कस के लिए ग्राउण्ड मिल पाना भी काफी कठिन होता है। वहीं सर्कस के लिए 18 वर्ष की उम्र के बाद ही किसी कलाकार को रख सकते हैं। इन दिनों सर्कस फेडरेशन से जुड़े करीब दर्जन भर सर्कस ही है। प्राचीन रोम में भी सर्कस हुआ करते थे। बाद में जिप्सियों ने इस खेल को यूरोप तक पहुंचाया। लंदन में 9 जनवरी 1768 को सर्कस का शो दिखाया था।
योजक कड़ी जोकर
सर्कस में सबसे ज्यादा तालियां बजती हैं जोकरों के लिए। खासकर बच्चे इनका इंतजार करते रहते हैं कि ये कब मंच पर आएंगे। रंग-बिरंगे चेहरे, नकली नाक व बाल लगाकर सबको हंसाने वाले जोकर दो प्रोग्राम के बीच की योजक कड़ी का काम करते हैं। इस समय में वो सबको खूब हंसाते हैं। कई लोगों की नकल करके जोक सुनाके वे ऐसा करते हैं। कई बार तो इनके भी अलग कार्यक्रम होते हैं।
सर्कस के प्रति लोगों की दिलचस्पी आज भी बनी हुई है। सर्कस के कलाकार फिल्मी कलाकारों से अलग हैं। सर्कस के कलाकारों को जीवंत प्रदर्शन दिखाना होता है। इसके लिए रोज कड़ा अभ्यास करना होता है। दर्शकों का उत्साह ही उनमें जोश जगाता है। सर्कस में कलाकारी दिखाने से पूर्व हर रोज कुछ समय इसकी रिहर्सल की जाती है ताकि और बेहतर प्रदर्शन दिखा सकें। सर्कस के कलाकार अपने बच्चों को सर्कस की बजाय अन्य पेशे में लाना चाहते हैं। कारण यह है कि सर्कस अब कम होते जा रहे हैं। कई सर्कस मौजूदा दौर में टिक नहीं पा रहे हैं। ऐसे में नए सर्कस भी कम आ रहे हैं।
अब्बास, सर्कस कलाकार
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प्रकाश, ग्रेट बोम्बे सर्कस के प्रबंधक