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चेन्नई.
तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले से 37 साल पहले चुराई गई नटराज (भगवान शिव )की ६00 साल पुरानी मूर्ति आखिरकार पुन: आ गई। अब मूर्ति को मंदिर में स्थापित करने की तैयारी चल रही है। आइडल विंग के विशेष अधिकारी पोन मानिकवेल अपनी टीम के साथ १९८२ में चोरी हुई मूर्ति जिसे हाल ही आस्टे्रलिया से भारत लाया गया था, को शुक्रवार सुबह को दिल्ली से तमिलनाडु एक्सप्रेस से तिरुनेलवेली लेकर आए।
वहींं चोरी हुई मूर्ति वापस लाने के बाद चेन्नई सेंट्रल पर नटराज की मूर्ति को देखने के लिए श्रद्धालुओं सहित आमजन का तांता लग गया। काफी देर तक सें्रटल रेलवे स्टेशन पर मूर्ति को देखने के लिए चहल पहल बनी रही।
करीब दो घंटों तक रेलवे स्टेशन परिसर में मूर्ति की पूजा हुई। रेलवे स्टेशन पूजा स्थल बन गया। पोन मानिकवेल अपनी टीम के साथ तिरुनेवलेवी के लिए रवाना होंगे।
हजारों मूर्तियों को वापस लाया जाएगा
पोन मानिकवेल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कई सारे मूर्ति अमरीका, आस्टे्रलिया, सिंगापुर जैसे देशों के गैलरी में है जिन्हें आने वाले कुछ महीनों में वापस लाने का काम किया जाएगा। विदित हो मूर्ति को भारत वापस लाने में पोन मानिकवेल ने निर्णायक भूमिका निभाई है। आस्ट्रेलियाई आर्ट गैलरी के अधिकारियों ने तमिलनाडु पुलिस जांच टीम को मूर्ति बुधवार को सौंपी।
चोरी का 2 साल पहले पता लगा
एडीलेड स्थित आर्ट गैलरी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया (एजीएसए) का कहना है कि हम मूर्ति के बारे में शोध कर रहे थे। इसी दौरान एशियन आर्ट क्यूरेटर ने सितंबर 2016 में बताया कि नटराज की मूर्ति चुराई गई थी। मंदिर निर्माण कला के जानकार और द आइडल थीफ किताब के लेखक कुमार ने बताया कि एजीएसए द्वारा दी गई जानकारी सही है। 2016 में हमारे आर्काइव फोटो से मूर्ति के बारे में जानकारी मिली।
पहले अमेरिका के डीलर से खरीदी थी मूर्ति
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी ने 50 लाख डॉलर में भगवान शिव की मूर्ति न्यूयॉर्क के डीलर सुभाष कपूर से खरीदी थी। न्यूयॉर्क की कोर्ट ने फ्रीडमैन को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि भगवान शिव की मूर्ति भारत सरकार की संपत्ति है, जो तमिलनाडु के अरियालूर स्थित मंदिर से चुराई गई थी।
1976 से 2001 तक प्राचीन काल की 19 वस्तुएं कानूनी प्रक्रिया या सैटलमेंट के बाद विदेश से भारत लाई गईं। 2001 के बाद भारतीय पुरातत्व सवेज़्क्षण (एएसआई) को ऐसी कोई कामयाबी नहीं मिली।
600 साल पुरानी नटराज की मूर्ति
ये मूर्ति ऑस्ट्रेलिया की एक ऑर्ट गैलरी में मौजूद थी। पांडयन युग की ये मूर्ति पुरातत्व महत्व की वजह से बेशकीमती है। वर्ष 2000 से ये मूर्ति एडिलेड स्थित ऑर्ट गैलरी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया में मौजूद थी।
भगवान नटराज की पंचलोक मूर्ति को 1982 में तिरुनेलवेली जिले के कालिदाईकुरिची से चुराया गया था। वहां ये मूर्ति कुलासेखरमुदयार- आरामवलाथज़् नयागी मंदिर में स्थित थी। नटराज की मूर्ति के साथ सिवागामी अम्मान और तिरुवल्ली विनयाकर की दो और मूर्तियां भी चुराई गई थीं।
इस मामले को सुलझाने में कोई कामयाबी नहीं मिलने के बाद तिरुनेलवेली पुलिस ने 1984 में केस बंद कर दिया।
Updated on:
13 Sept 2019 12:20 pm
Published on:
13 Sept 2019 12:11 pm
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