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तिरुवल्लूर जिले के इस गांव में स्कूल तक पहुंचने के लिए सड़क की व्यवस्था नहीं

-बच्चों की बढ़ रही परेशानी

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तिरुवल्लूर जिले के इस गांव में स्कूल तक पहुंचने के लिए सड़क की व्यवस्था नहीं

तिरुवल्लूर जिले के इस गांव में स्कूल तक पहुंचने के लिए सड़क की व्यवस्था नहीं


-आपातकाल की स्थिति से निपटने के भी उपाय नहीं
चेन्नई. पिछले महीने राज्य भर में हुई भारी बारिश से अधिकंाश जिलों में बाढ़ आ गई थी। बारिश बंद होने के बाद भी कई दिनों तक जगह जगह पर पानी भरा था। इस कारण काफी लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ा। बारिश के बाद से तिरुवल्लूर जिले के सिरुनै गांव निवासी पहली कक्षा का कृष्णा के. नामक बच्चा स्कूल नहीं जा पा रहा है, जिससे वे काफी चिंतित है। इसका कारण यह है कि सिरुनै गांव से पांच किमी दूर पर स्थित पलवंक्कम हाई स्कूल को जोडऩे वाली सड़क ही गायब हो गई है।

बच्चे की मां एम. दिव्या का कहना है कि गांव से स्कूल जाने के लिए यही एक मात्र मार्ग है और बारिश के बाद से उसे भी एक निजी जमींदार द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया है। 36 परिवारों के इरुलर गांव को चार साल पहले कोसावमपेट में कोसस्थलैयार नदी के किनारे उनकी पिछली बस्ती के बाढ़ का शिकार होने के बाद जमीन आवंटित की गई थी। लेकिन वित्तीय संकट के कारण उनके घरों का निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही रुक गया। सीनी कुप्पम, जेजे नगर और इरी कॉलोनी के अलावा सुरुनै गांव के 25 प्राइमरी स्कूली बच्चे और 10 हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं।
आर. निर्मला नामक महिला ने बताया कि यहां आने से पहले घर समेत अन्य सुविधाओं का वादा किया गया था। नवंबर और दिसंबर की बारिश के दौरान हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। सड़क नहीं होने की वजह से बच्चों ने स्कूल वापसी ही नहीं की। स्कूल के शिक्षकों ने कुछ दिनों तक ऑटों भेजकर बच्चों को स्कूल बुलाया, लेकिन भूमि जमींदार द्वारा मार्ग अवरुद्ध करने की वजह से वह सुविधा भी बंद हो गई। यह गांव सुनसान आरक्षित वन का हिस्सा हैं और उस जगह पर रहना इन परिवारों के लिए बुरे संपने से कम नहीं है।
स्थानीय पंचायत प्रमुख और काउंसलर ने हेल्थकेयर, हाई स्कूल, आंगनवाड़ी और रोड लिंकिंग समेत अन्य सुविधाओं का वादा किया था।


-सड़क नहीं होने की वजह से आपातस्थिति में भी नहीं मिलती सुविधा
उन्होंने कहा कि पिछले महीने जंक्शन बॉक्स में ऊंगली डालने की वजह से एक साल के बच्चे की मौत हो गई थी। गांव के लोगों को एम्बुलेंस नहीं मिलने की वजह से उसको बचाया नहीं जा पाया। वहीं कई गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी से पहले ही अन्य गांवों में पहुंचा दिया जाता है। पंचायत के सहायक निदेशक ने बताया कि उपलब्ध एकमात्र मार्ग लोक निर्माण विभाग का है। एक पीडब्ल्यूडी नहर है और अगर विभाग बांध को मजबूत करता है और इस गांव की मदद के लिए सड़क बनाता है तो ये लोग इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा नहीं हुआ तो हमें वन भूमि को राजस्व भूमि में बदलने और जेजे नगर रोड को इस गांव से जोडऩे की जरूरत है।


-भूमि जमींदार को रास्ता देने का निर्देश
उन्होंने कहा कि स्थिति सामान्य होने तक निजी भूमि जमींदार को इरुलर परिवारों को आने जाने का रास्ता देने का निर्देश दिया गया है। कलक्टर अलबे जॉन ने बताया कि इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है। बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा पंचायत अधिकारियों से बातचीत कर आवास निर्माण में देरी का कारण पूछा जाएगा। उनके घरों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शुरू हुआ था, लेकिन जारी हुए 2.४ लाख रुपए निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं थे और कोष की कमी के कारण काम रोक दिया गया।


-नए घरों में पोंगल मनाने का किया गया है वादा
स्थानीय लोगों ने कहा कि अधिकारियों ने गांव के लोगों से वादा किया है कि इस बार हम छप्पर में नहीं बल्कि अपने नए घरों में पोंगल मनाएंगे। पोंगल को सिर्फ 20 दिन बचे हैं और अब देखना है कि उस वादे को कैसे पूरा किया जाता है।